सबसे बुरे समय में यस बैंक का शेयर


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पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा :-
इससे पहले निर्मला सीतारमण ने संसद परिसर में मीडिया से बात करते हुए खाताधारकों को भरोसा दिया है, कि उनका पैसा डूबने नहीं दिया जाएगा। निर्मला सीतारमण ने कहा कि बैंक के खाताधारकों का पैसा सुरक्षित है। खाताधारकों को चिंतित होने की जरूरत नहीं है। वित्त मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक के अधिकारी समस्या का समाधान निकालने में जुटे हुए हैं। इस हालात में यस बैंक के शेयर में 70 फीसदी से अधिक की गिरावट आई और यह 16.55 अंक पर बंद हुआ। वहीं कारोबार के दौरान यस बैंक का शेयर 5.55 रुपये के भाव तक आ गया। यह यस बैंक का ऑल टाइम लो लेवल है। वहीं बैंक का मार्केट कैप 3, 306 करोड़ रुपये पर आ गया है। बता दें कि गुरुवार को यस बैंक का मार्केट कैप 9 हजार करोड़ से अधिक था। इस तरह, सिर्फ 1 दिन में मार्केट कैप में 6 हजार करोड़ से अधिक की गिरावट आई है।

वित्त मंत्री के मुताबिक पिछले कुछ महीनों से हम सभी स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। जो कदम उठाए गए हैं वो जमाकर्ताओं, बैंक और अर्थव्यवस्था के हित में हैं। ये बीते कई महीनों से चल रहा था तो ऐसा नहीं है कि ये अचानक आ गया है, हम हालात पर लगातार नजर रखे हुए थे। आरबीआई ने यस बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। अब यस बैंक के ग्राहक अपने खाते से सिर्फ 50 हजार रुपये निकाल सकेंगे. वहीं यस बैंक के डायरेक्‍टर बोर्ड को भी भंग कर दिया गया है।
इसका समाधान निकालने के लिए रिजर्व बैंक अपनी पूरी ताकत लगा रहा है। इसके आगे निर्मला सीतारमण ने कहा कि अगर किसी के घर में शादी या कोई बड़ा खर्चा है तो इन सबके लिए कानूनी प्रावधान हैं। रिजर्व बैंक के नियुक्त अधिकारी उनको जरूरी खर्च के लिए जो पैसा देना है वो देंगे, उनको राहत मिलेगी।

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की यस बैंक पर पाबंदी की कार्रवाई के बाद ग्राहकों में बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि, सरकार की ओर से बार-बार खाताधारकों को पैसे सुरक्षित रहने का भरोसा दिलाया जा रहा है। इस बीच, यस बैंक के लिए आरबीआई ने री-स्‍ट्रक्‍चरिंग प्‍लान का ऐलान किया है। ये प्‍लान एक महीने के भीतर ही लाया जाएगा।
वित्‍त मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर यस बैंक के संकट पर विस्‍तार से बात की. उन्‍होंने बताया कि एसबीआई ने यस बैंक में हिस्‍सेदारी खरीदने में दिलचस्‍पी दिखाई है। निवेशक बैंक अगले तीन साल के लिए 49 फीसदी हिस्‍सेदारी ले सकता है। वहीं अपनी हिस्‍सेदारी 26 फीसदी से कम नहीं कर सकता है। इसके अलावा यस बैंक का नया बोर्ड री-स्‍ट्रक्‍चरिंग प्‍लान के बाद बैंक को टेकओवर करेगा। आरबीआई ने यस बैंक के डायरेक्‍टर बोर्ड को भंग कर दिया था। इसके बाद एसबीआई के सीएफओ प्रशांत कुमार को एडमिनिस्‍ट्रेशन की जिम्‍मेदारी सौंपी है।

संकट की वजह ?

निर्मला सीतारमण ने बताया कि यस बैंक द्वारा नियमों का पालन नहीं किया जा रहा था। बैंक ने जोखिम भरे क्रेडिट निर्णय लिए थे। यस बैंक ने अनिल अंबानी, एसेल ग्रुप, डीएचएफएल, वोडाफोन जैसी कंपनियों को लोन दिया जो डिफॉल्ट हुए हैं। ये सभी मामले 2014 से पहले यानी यूपीए शासनकाल के हैं। यस बैंक के मामले को लेकर वह मई 2019 के बाद से ही आरबीआई के संपर्क में थीं। वहीं सितंबर 2019 से यस बैंक पर सेबी की नजर है। सेबी शेयर बाजार को रेग्‍युलेट करता है। RBI से आकलन करने के लिए कहा है, कि बैंक में इन कठिनाइयों का क्या कारण है। इसके साथ-साथ समस्या के लिए व्यक्तिगत रूप से कौन ज़िम्मेदार हैं उनकी पहचान की जाएगी।

निर्मला सीतारमण ने बताया कि साल 2017 से आरबीआई, यस बैंक पर निगरानी कर रहा था. वहीं 2018 में केंद्रीय बैंक ने यस बैंक में गड़बड़ी की पहचान कर ली थी, जबकि 2019 में यस बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था ।