R.खबर ब्यूरो, साइंटिस्ट्स ने नॉर्वे के तट से दूर बैरेंट्स सागर के तल पर एक ज्वालामुखी खोजा है। ये 400 मीटर (1,312 फीट) की गहराई में मौजूद है। ये मिट्टी का ज्वालामुखी है। साइंटिस्ट्स के मुताबिक, ये बैरेंट्स सागर में मिला दूसरा मिट्टी का ज्वालामुखी है। इसके पहले 1995 में हकोन मोस्बी मड वोल्केनो खोजा गया था।
साइंटिस्ट्स ने इसे ‘बोरेलिस मड वोल्केनो’ नाम दिया है। ये समुद्र में बने 300 मीटर (984 फीट) चौड़े और 25 मीटर (82) गहरे गड्ढे के अंदर मौजूद है। इस ज्वालामुखी का डायमीटर (व्यास) 7 मीटर (23 फीट) है और यह 2.5 मीटर (करीब 8 फीट) ऊंचा है। इसमें से मिथेन गैस निकल रही है। यही गैस पृथ्वी के बढ़ते तापमान की वजह है।
मिट्टी के ज्वालामुखी
मड वोल्केनो (मिट्टी के ज्वालामुखी) को मड डोम भी कहते हैं। इसके अंदर से लावा नहीं बल्कि मिट्टी या स्लरी निकलती है। साथ ही पानी और गैस भी निकलती है। ये असल में ज्वालामुखी नहीं होते लेकिन इनके व्यवहार की वजह से इन्हें ज्वालामुखी कहा जाता है।
इसमें से निकलने वाली मिट्टी धरती के अंदर गर्म पानी के साथ मिलकर ऊपर की ओर आती है, जिसे स्लरी कहते हैं। आमतौर पर मिट्टी के ज्वालामुखियों से 86 फीसदी मिथेन गैस निकलती है। थोड़ा बहुत कार्बन डाईऑक्साइड और नाइट्रोजन भी निकलता है।
रिसर्च वैसल क्रोनप्रिन्स हाकोन ने ढूंढा वोल्केनो
द आर्कटिक यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्वे के साइंटिस्ट्स ने इस ज्वालामुखी को रिमोट्ली ऑपरेटेड व्हीकल यानी ROV Aurora में लगे रिसर्च वैसल क्रोनप्रिन्स हाकोन की मदद से ढूंढा। ये बेयर आयलैंड से 70 समुद्री मील दूर दक्षिण में स्थित है।
समुद्र तल में मीथेन एक्टिविटी के बारे में जानकारी इक्ट्ठा करने वाले प्रोजेक्ट AKMA के हेड प्रोफेसर गिउलियाना पनियरी ने कहा- पानी के नीचे ज्वालामुखी और इसके फटने ने निकली मिट्टी से मुझे याद दिला दिया की हमारा ग्रह कितना जीवित है।