रितेश यादव
खाजूवाला, कहते है भगवान के घर देर है पर अन्धेर नहीं है। खाजूवाला के लोगों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है। खाजूवाला राजकीय चिकित्सालय में लगभग दो दशक पूर्व आई सोनोग्राफी मशीन इतने सालों से धूल फांक रही थी लेकिन इस मशीन को लगभग दो दशक बाद चलाया गया है। जिससे क्षेत्र के लोगों को काफी फायदा मिलेगा। वहीं अब गर्भवती महिलाओं को सोनोग्राफी करवाने के लिए बीकानेर या घड़साना नहीं जाना पड़ेगा।
खाजूवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में लगभग दो दशक पूर्व मिली सोनोग्राफी मशीन को शुक्रवार को ट्रायल के लिए चलाया गया। खाजूवाला क्षेत्रवासियों को दो दशक से बंद पड़ी सोनोग्राफी मशीन की सुविधा अब मिलनी शुरू हो जाएगी। ऐसे में शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सकों के द्वारा मशीन का ट्रायल किया गया और आगामी शुक्रवार से लोगों को सोनोग्राफी की सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी।
चिकित्सा प्रभारी डॉ अमरचन्द बुनकर ने जानकारी देते हुए बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र खाजूवाला में करीब दो दशक से सोनोलॉजिस्ट के अभाव में बंद पड़ी सोनोग्राफी मशीन अब शुरु हो गई है। इस मशीन को शुरु करवाने में विधायक गोविंदराम मेघवाल का विशेष सहयोग मिला। विधायक ने खाजूवाला में सोनालोजिस्ट की नियुक्ती करवाई। जिससे क्षेत्र के लोगों को सोनोग्राफी की सुविधा मिलनी शुरु होगी। ऐसे में प्रत्येक शुक्रवार को सोनोग्राफी के लिए सोनोलॉजिस्ट की व्यवस्था की गई है। ताकि दूरदराज ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को सोनोग्राफी की सुविधा सीएचसी स्तर पर मिल सके।
इफको द्वारा दी गई थी मशीन
वर्ष 2007 में इफको के चेयरमैंन सुरेन्द्र जाखड़ द्वारा खाजूवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सोनोग्राफी मशीन दी गई थी। जिसके बाद डॉ.जसवंत सिंह ने इस मशीन कुछ समय के तक ऑपरेट किया। डॉ.जसवंत सिंह के स्थानान्तरण होने के बाद यह मशीन कमरे में बन्द कर दी गई। कई बार इस मशीन को चलाने के लिए सोनोलॉजिस्ट की नियुक्तियां की गई। लेकिन कोई भी डॉक्टर आने को तैयार नहीं हुआ।
बीकानेर से पहले कहीं नहीं थी सुविधा
खाजूवाला सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण यहां कई सुविधाओं का अभाव रहता ही है। जिला मुख्यालय से 113 किलोमीटर की दूरी पर बसे खाजूवाला के लोगों को सोनोग्राफी करवाने के लिए या तो बीकानेर जाना पड़ता था या फिर घड़साना अनुपगढ़ जाना पड़ता था। जिसके कारण आम गरीब व्यक्ति को काफी आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब खाजूवाला सीएचसी में सोनोग्राफी मशीन शुरू होने से लोगों को अन्यत्र नहीं जाना पड़ेगा।
लगभग दो दशकों से बन्द धूल फांक रही थी मशीन
खाजूवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में पिछले लगभग दो दशकों पूर्व इफको द्वारा सोनोग्राफी मशीन दी गई थी। जिसे उस समय सोनोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण नहीं चलाया गया। जिसके कारण यह मशीन चिकित्सालय के एक बन्द कमरे में धूल फांक रही थी। सामाजिक संगठनों तथा राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों द्वारा समय-समय पर इस मशीन को शुरू करवाने की मांग की गई थी। लेकिन सोनोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण यह मशीन बन्द पड़ी रही। जिसका शुक्रवार को ट्रायल लिया गया। जो कि सफल रहा।
नहीं टिक पाते थे सोनोलॉजिस्ट
जिला मुख्यालय से 113 किलोमीटर की दूरी होने के कारण खाजूवाला में अक्सर सुविधाओं का अभाव रहता है। ऐसे में यहां जल्दी से कोई भी काम करने के लिए नहीं आते है। अलग-अलग सरकारों के समय सोनालॉजिस्ट लगाए गए लेकिन वे अपना नहीं आए। जिसके कारण क्षेत्र वासियों को जो सुविधा वर्षो पूर्व मिलने चाहिए थी वो आज तक नहीं मिली। लेकिन अब डॉ. अमित अरोड़ा को खाजूवाला में सोनोग्राफी के लिए लाया गया है। जो सप्ताह में एक दिन शुक्रवार को सेवाएं देंगे।
नि:शुल्क होगी सोनोग्राफी
खाजूवाला सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में सोनोग्राफी मशीन के ट्रायल के बाद अब हर शुक्रवार को सोनोग्राफी की जाएगी। यह जाँच बिलकुल नि:शुल्क रहेगी। वहीं शुरूआती दौर में प्रतिदिन 30-५० सोनोग्राफी करने का लक्ष्य लिया गया है। वहीं सोनोग्राफी के बाद डेटा ऑनलाईन भी किए जाएंगे।
डॉ अमित अरोड़ा देंगे सेवाएं
लोगों के बार-बार मांग पर स्थानीय विधायक मेघवाल ने खाजूवाला में सोनोलॉजिस्ट की नियुक्ती करवाई। जिसपर खाजूवाला सीएचसी प्रभारी डॉ.अमरचन्द बुनकर ने नियुक्त डॉ.अमित अरोड़ा से वार्ता कर खाजूवाला में सेवाएं देने के लिए अनुरोध किया। जिसपर डॉ.अमित अरोड़ा जो कि सेटेलाईट हॉस्पिटल बीकानेर में कार्यरत है वे सप्ताह में एक दिन सेवाएं देने के लिए राजी हो गए। वहीं अक्सर पूर्व में जब भी यहां सोनोलॉजिस्ट लगाया जाता था तो वह आने को तैयार नहीं होते थे।
पेचिदा प्रक्रिया को भी किया पूरा
सोनोग्राफी मशीन शुरू करवाने के लिए सीएचसी प्रभारी डॉ.अमरचन्द बुनकर का सरहानीय कार्य रहा। डॉ.बुनकर ने वर्षों से बन्द पड़ी मशीन का पीसीपीएनडी में रजिस्ट्रर करवाया वहीं भूमि सम्बन्धी दस्तावेज भी तैयार करवाकर जमा करवाए। मशीन में ट्रेकर व जीपीएस मशीन भी लगवाई। जिसके लिए दिल्ली से इंजिनियर बुलाकर कार्य करवाया गया। मशीन वर्षों से बन्द पड़ी थी जिसको चालू करवाने के लिए पहले कोटा तथा बाद में दिल्ली से इंजिनियर बुलवाए गए। मशीन में ट्रैकर को इंस्ट्रोल करवाया गया तथा डॉ.बुनकर ने अपने तथा डॉ.अरोड़ा के दस्तावेज भी पीसीपीएनडी में जमा करवाए। जिसके बाद जाकर मशीन का चालू करने की परमिशन मिल पाई।