बीकानेर, अब से चिकित्सक नही कर पाएंगे अपनी मनमानी, घर पर शुल्क लेकर मरीजों को चिकित्सकीय परामर्श देने वाले चिकित्सकों को अब परामर्श शुल्क की रसीद देनी होगी। इस संदर्भ में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक आदेश जारी कर चिकित्सकों को इसके लिये पाबंद किया है। अतिरिक्त निदेशक चिकित्सा सेवाएं ने 2 मार्च को निकाले आदेश संख्या परिपत्र-फीस-2020/122 के तहत चिकित्सकों द्वारा अपने निवास पर रोगियों को देखने की शुल्क को निर्धारित करते हुए राज्य सरकार द्वारा तय परामर्श शुल्क लेने के साथ साथ ली जाने वाली शुल्क की प्रति रसीद रोगी को उपलब्ध कराने के लिये निर्देशित किया है। इसके अलावा अपने परामर्श कक्ष में ली जाने वाली परामर्श शुल्क की तख्ती लगाकर प्रदर्शन करने को भी कहा है।
निम्न: दरें की गई तय :-
विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार चिकित्सा अधिकारी/ ग्रामीण चिकित्सा अधिकारी की फीस प्रति विजिट 75 रुपए और सीनियर मेडिकल अधिकारी/ जूनियर स्पेशलिस्ट/ सहायक प्रोफेसर/ ग्रामीण वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी 100 रुपए निर्धारित की गई है। इसी तरह से एसोसिएट प्रोफेसर/ सीनियर स्पेशलिस्ट की 125 रुपए, प्रोफेसर 150 रुपए और सीनियर प्रोफेसर की प्रति विजिट 200 रुपए फीस तय की गई है।
लगेगी मनमानी पर रोक :-
सर्वे में आया कि डॉक्टर्स अपने निवास पर मरीजों को देखने के लिए निर्धारित राशि से ज्यादा परामर्श फीस ले रहे हैं और शुल्क प्राप्ति की रसीद भी नहीं दे रहे हैं। इसके साथ ही डॉक्टर्स ने अपने घरों पर फीस संबंधी की कोई तख्ती भी नहीं लगा रखी है। अब डॉक्टर्स को घर पर अपने परामर्श कक्ष में फीस की तख्ती भी लगानी होगी। आदेश में कहा गया है, कि सरकारी डॉक्टर द्वारा निवास पर ली जाने वाली फीस राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों से ही वसूल की जाए। इसके साथ ही
परामर्श फीस की रसीद भी रोगी को दी जाए।
‘निरोगी राजस्थान’ का लिया था संकल्प
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ‘निरोगी राजस्थान’ की पहल को जमीनी धरातल उतारने की पहल तेज कर दी है। अब डॉक्टर्स की मनमानी और मरीजों के साथ बुरे बर्ताव पर पैनी नजर रखी जाएगी। मरीजों से निर्धारित फीस से ज्यादा राशि वसूलने पर उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने सरकार की पहली वर्षगांठ के मौके पर निरोगी राजस्थान का संकल्प लिया था।