SC : इलेक्टोल बांड्स पर सुनवाई के दौरान वकील पर भड़के CJI डीवाई चंद्रचूड़, कहा मुझ पर चिल्लाए मत


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R.खबर, ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार (18 मार्च) को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bonds) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) से कहा कि वह यूनीक बॉन्ड नंबर्स के इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी 21 मार्च तक दे। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मामले पर सुनवाई के दौरान वकील मैथ्यू नेदुम्पारा पर भड़क गए। CJI ने इलेक्टोरल बॉन्ड्स पर सुनवाई के दौरान नेदुम्पारा से कहा कि आप मुझपर चिल्लाइए मत, अगर आपको याचिका दाखिल करनी है, तो एप्लिकेशन दीजिए। हम यहां आपकी सुनवाई के लिए नहीं बैठे हैं। नेदुम्पारा ने सुनवाई के दौरान कहा कि पूरा फैसला नागरिकों के पीठ पीछे दिया गया। नेदुम्पारा इस दौरान लगातार बोलते रहे। इस दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि क्या आपको मानहानि का नोटिस चाहिए? CJI ने कहा कि हम आपके लिए अपवाद नहीं बना सकते हैं। ये फैसला सबके लिए है, आप यहां तब आए जब फैसला दिया जा चुका है। हम अभी आपकी सुनवाई नहीं कर सकते हैं।


इसी सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधीश अग्रवाल ने स्वत: संज्ञान के लिए याचिका दाखिल की।
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मिस्टर अग्रवाल आप एक सीनियर वकील के अलावा SCBA के अध्यक्ष भी हैं। आपको प्रोसेस की पूरी जानकारी है। आपने मुझे लेटर भी लिखा है। ये सब पब्लिसिटी के लिए है। इसको रहने दीजिए, मैं इसपर कुछ कहना नहीं चाहता हूं। इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनीक नंबर्स न होने पर कोर्ट ने 16 मार्च को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को नोटिस देकर 18 मार्च तक जवाब मांगा था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी SBI से मिली जानकारी तुरंत अपलोड करने का निर्देश दिया है।

15 फरवरी को बॉन्ड स्कीम पर लगाई थी रोक:-
सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला देते हुए राजनीतिक फंडिंग के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह स्कीम असंवैधानिक है। बॉन्ड की गोपनीयता बनाए रखना असंवैधानिक है। यह स्कीम सूचना के अधिकार का उल्लंघन है।

11 मार्च को SC ने SBI को दिया था डिटेल सौंपने का आदेश:-
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 11 मार्च के फैसले में SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड की पूरी डिटेल देने का निर्देश दिया था। चुनाव आयोग ने इससे पहले 14 मार्च को 763 पेज की दो लिस्ट में अप्रैल 2019 के बाद खरीदे या कैश किए गए बॉन्ड की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड की थी। एक लिस्ट में बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी, जबकि दूसरी में राजनीतिक दलों को मिले बॉन्ड की डिटेल थी। हालांकि, SBI ने डिटेल में इसका खुलासा नहीं किया गया कि किस डोनर ने किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा दिया।

17 मार्च को अपलोड किया नया डेटा:-
इसके बाद चुनाव आयोग ने रविवार (17 मार्च) को अपनी वेबसाइट पर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से 16 मार्च को मिला इलेक्टोरल बॉन्ड का नया डेटा अपलोड किया। नए डेटा में फाइनेंशियल ईयर 2017-18 के बॉन्ड्स की जानकारी शामिल है। डेटा के मुताबिक, बीजेपी ने कुल 6 हजार 986 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड कैश कराए।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड:-
इलेक्टोरल बॉन्ड एक तरह का प्रॉमिसरी नोट होता है। इसे बैंक नोट भी कहते हैं। इसे कोई भी भारतीय नागरिक या कंपनी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीद सकती है। इस स्कीम को 2017 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेश किया था। 2 जनवरी 2018 को केंद्र सरकार ने इसे नोटिफाई किया।
अरुण जेटली ने इसे पेश करते वक्त दावा किया था कि इससे राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाली फंडिंग और चुनाव व्यवस्था में पारदर्शिता आएगी। साथ ही ब्लैक मनी पर कंट्रोल होगा। जबकि इसका विरोध करने वालों का कहना था कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की जाती है। इससे ये चुनावों में ब्लैक मनी के इस्तेमाल का जरिया बन सकते हैं।