बीकानेर, ‘राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत की आत्मा थे व पूरा विश्व आज भी गांधी जी के विचारों से प्रेरणा लेता है। उन्होंने गरीबांे के उत्थान, महिलाओं के सशक्तीकरण, छुआछूत का विरोध, राष्ट्र की एकता व अखण्डता आदि के लिए जीवन भर कार्य किया। उन्होंने सभी परिस्थितियों में सत्य व अहिंसा का पालन किया। उनका जीवन दर्शन भारतीय परम्परा के जीवन मूल्यों का पोषण करने वाला है। उन्होंने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ शस्त्र के रूप में उपयोग किया।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के 150वीं जयन्ती वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित हो रहे अगस्त क्रांति सप्ताह के तहत राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी तथा सूचना एवं जनसम्पर्क कार्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को सूचना केन्द्र सभागार में आयोजित ‘गांधीजी का जीवन दर्शन’ विषयक राजस्थानी संगोष्ठी में वक्ताओं ने ये उद्गार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डाॅ. महेन्द्र खड़गावत ने कहा कि महात्मा गांधी के सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह, ईमानदारी, क्षमा आदि सद््गुणों को हम अपने जीवन में उतार लें तो जीवन सफल हो जाए। गांधीजी ने अपने विरोधियों के विचारों को भी पूर्ण आदर दिया। उन्होंने वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने भारत आकर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लिया और देश को स्वतंत्र कराने के लिए अनेक अत्याचार सहे।
गांधी दर्शन समिति के जिला संयोजक संजय आचार्य ने कहा कि गांधीजी विश्व के प्रमुख नेताओं में शामिल थे। उन्होंने देश हित में सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उन्होंने सम्पूर्ण देश को एकता के सूत्र में बांधा। वे राजनीतिज्ञ के साथ-साथ दार्शनिक, लेखक और समाज सुधारक भी थे। गांधी जी ग्राम स्वराज्य के हिमायती थे। गांधी दर्शन समिति के सह संयोजक साजिद सुलेमानी ने कहा कि गांधी जी ने सत्य की रक्षा के लिए सदैव संघर्ष किया। उन्होंने अपने विचारों से विश्व में अपनी अलग छाप छोड़ी, उनके विचारों से मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मण्डेला भी प्रभावित थे। उन्होंने स्वच्छता को बहुत महत्व दिया। राष्ट्र की एकता व अखण्डता बनी रहे, इसके लिए उन्होंने हरसम्भव प्रयास किया।
राजस्थानी भाषा अकादमी के सचिव शरद केवलिया ने कहा कि गांधी जी ने पूरे विश्व को सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संदेश दिया। उन्होंने देश को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराया। उनके सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। गांधी जी ने कहा था कि मन, वचन और कर्म से किसी को भी दुःख नहीं दें।
इस अवसर पर गांधीजी के व्यक्तित्व-कृतित्व पर राजस्थान राज्य अभिलेखागार की ओर से बनाई गई डाॅक्यूमेन्ट्री का प्रदर्शन भी किया गया। संगोष्ठी में राजेन्द्र भार्गव, गुलाब सिंह, बृजेन्द्र सिंह, परमनाथ, मनोज मोदी सहित कार्यालय कार्मिक, विद्यार्थी उपस्थित थे।