खाजूवाला, राजस्थान शिक्षक संघ (अम्बेडकर) ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर शिक्षकों के हितों की मांग की है। जिसमें शिक्षक संघ ने बताया कि कोरोना महामारी में राजस्थान के लाखो शिक्षकों /कर्मचारियों /अधिकारियों ने अपने वेतन से करोड़ों रुपये की कटौती कर मुख्यमंत्री राहत कोष में दान दिए है। इसके अलावा भी संगठन के शिक्षक साथियों ने लाखों रुपये मुख्यमंत्री राहतकोष में देने के साथ साथ लगभग 20 लाख रुपएसे ज्यादा राशि से प्रदेश भर मे कोरोना की जंग में जरूरतमंदों, बेसहारा, निर्धन, निशक्तजनो, मजदूर वर्ग के हजारों परिवारों को भोजन, राशन सामग्री, मास्क व अन्य राहत सामग्री 32 वें दिन भी वितरण करता रहा है। अधिकांश शिक्षकों के पास सिवाय वेतन के कोई और आय का साधन नहीं होता है। संगठन आपसे निम्नलिखित 10 सूत्री मांगपत्र पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर संगठन के मांगपत्र के निस्तारण की मांग करता है।
ब्लॉक अध्यक्ष सावण खां ने पत्र में अवगत करवाया कि पीडी मद वाले शिक्षकों को पांच माह का बकाया वेतन भुगतान शीघ्र किया जावे, कर्मचारियों के वेतन व डी ए स्थगित नही करें, कार्मिको के गत माह में स्थगित किये गये शेष वेतन का भुगतान अप्रैल माह के वेतन के साथ करें, फिक्स वेतन वाले कर्मचारियों के वेतन से पूर्व में कई गयी कटोती वापीस करें और किसी भी प्रकार की कोई वेतन कटौती नही करें, जो कर्मचारी शिक्षक कोरोना की जंग में एक माह से ज्यादा समय से कार्य कर रहे हैं उनकी ड्यूटी परिवर्तन की जाकर उनके स्थान पर अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए, अस्वस्थ व 55 वर्ष से अधिक उम्र के शिक्षकों को कोरोना ड्यूटी से मुक्त रखे, कोरोना में ड्यूटी उन्ही कार्मिको की लगाई जावे जो उस मुख्यालयों पर वर्तमान में स्थित है, कोरोना ड्यूटी पर तैनात शिक्षकों को उतम क्वालिटी के हैंडसेनेटाइजर व मास्क उपलब्ध करवाये जावे, चितौडग़ढ़ व अलवर में कोरोना की ड्यूटी करने के दौरान शहीद हुए शिक्षकों के परिवार को ५० लाख बीमा राशि के साथ-साथ सरकारी कायदे अनुसार सभी प्रकार के भरण-पोषण भत्ते और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जावे, समाइल कार्यक्रम में ऑनलाईन अध्ययन करने वाले 99 प्रतिशत विद्यार्थी निर्धन परिवार से ताल्लुकात रखते हैं और ऐसे 70 प्रतिशत विद्यार्थियों के पास स्मार्ट फोन नही है या फिर लॉकडाउन में रिचार्ज नही हो रहे। ऐसी स्थिति में विद्यार्थियों को वो लाभ नही मिल रहा है जैसी सरकार की मंशा थी। ऐसे में रेडियो या टेलीविजन पर अध्ययन अध्यापन की व्यवस्था हो तो उत्तम होगा।