राजस्थान को मिल सकती है मुफ्त बिजली, चूंकि 70 फीसदी दूसरे राज्यों में हो रही सप्लाई

राजस्थान को मिल सकती है मुफ्त बिजली, चूंकि 70 फीसदी दूसरे राज्यों में हो रही सप्लाई

जयपुर। राजस्थान भले ही सोलर प्लांट स्थापित करने की क्षमता में देश में पहले पायदान पर है, लेकिन हकीकत यह है कि इसका बड़ा फायदा प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को मिल ही नहीं रहा। यहां अभी सौर ऊर्जा उत्पादन 24000 मेगावाट है। कुल उत्पादन में से केवल 6500 मेगावाट सस्ती बिजली ही प्रदेश को मिल रही है। बाकी 17500 मेगावाट बिजली दूसरे राज्यों में सप्लाई की जा रही है। जबकि, रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी में प्रावधान है कि राजस्थान में प्लांट लगाने वाली कंपनियां कुल उत्पादित बिजली का 7 प्रतिशत हिस्सा डिस्कॉम्स को देंगी या फिर उससे 50 हजार रुपए प्रति मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी डवलपमेंट फेसिलिटेशन चार्ज लेंगे। गंभीर यह है कि अभी तक एक यूनिट सस्ती बिजली राज्य को नहीं मिली। सरकार भी फेसिलिटेशन चार्ज लेकर तिजोरी भरने में तल्लीन है। इस फंड के जरिए हर साल करीब 200 करोड़ रुपए आ रहा है।

हमें भी सस्ती बिजली मिले तो 5 बड़े फायदे
1- कोयला स्टॉक की समस्या खत्म हो: बिजलीघरों में न्यूनतम 21 दिन का कोयला होना जरूरी है, लेकिन अधिकतम 5 से 9 दिन का ही कोयला रहता है। संकट के दौरान तो 2 से 3 दिन का ही रह गया था।
2- महंगा कोयला नहीं खरीदना पड़े: कोयला संकट की आड़ में विदेशों से महंगा कोयला खरीदा जा रहा है। अब तक दो बार में करीब 1500 करोड़ रुपए का कोयला खरीदा गया।
3- बिजली कटौती की नौबत कम आएगी: बिजली की डिमांड बढ़ने पर 1500 से 2500 मेगावाट तक बिजली की कमी रहती है। इसकी पूर्ति के लिए या तो बाजार से महंगी बिजली खरीदते हैं या फिर विद्युत कटौती की जाती रही है।
4- महंगी बिजली खरीद की जरूरत कम होगी: अभी एक्सचेंज से 10 रुपए यूनिट तक महंगी बिजली खरीदनी पड़ रही है।
5- फ्यूल सरचार्ज का बोझ से छुटकारा: महंगा कोयला खरीद, परिवहन लागत बढ़ने की आड़ में फ्यूल सरचार्ज वसूल रहे हैं। इसकी स्थिति कम बनेगी।