नई दिल्ली, राहुल बजाज ने 31 जुलाई को बजाज फाइनेंस के चेयरमैन का पद छोड़ने का फैसला किया है। बजाज समूह देश के सबसे पुराने और बड़े औद्योगिक घरानों में से एक है। 82 साल के बजाज ने करीब तीन दशक तक इस कंपनी का मार्गदर्शन किया है। उत्तराधिकार योजना के तहत वह कंपनी की बागडोर अपने बेटे संजीव बजाज को सौंप देंगे। संजीव लेंगे राहुल बजाज की जगह बजाज फाइनेंस के बोर्ड ने राहु बजाज की जगह संजीव बजाज को कंपनी का नॉन-एग्जिक्यूटिव चेयरमैन नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। संजीव 1 अगस्त से यह जिम्मेदारी संभालेंगे। अभी वह कंपनी के वाइस-चेयरमैन हैं।
बजाज का सफ़र:-
राहुल बजाज के दादा जमनालाल बजाज ने 1926 में बजाज समूह की स्थापना की थी। राहुल के पिता कमलनयन बजाज ने इस समूह का विस्तार किया। दिल्ली में 1958 में सेंट स्टीफेंस कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद राहुल ने अमेरिका में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। फिर वह 1968 में बजाज ऑटो के सीईओ बने. बजाज ऑटो दोपहिया और तिपहिया बनाने वाली देश की बड़ी ऑटो कंपनियों में से एक है। राहुल बजाज 1987 में कंपनी की शुरुआत से ही इसकी बागडोर संभालते आ रहे हैं। उत्तराधिकार योजना के तहत उन्होंने अपना पद छोड़ने का फैसला किया है। पद छोड़ने के बाद ही बतौर नॉन-एग्जिक्यूटिव नॉन-इंडेपेंडेंट डायरेक्टर के रूप में वह कंपनी का मार्गदर्शन करते रहेंगे।