सरकारी लैब के मुकाबले निजी लैब कोरोना जांच की तीन गुना पाजिटिव रिपोर्ट दे रही

जयपुर, केंद्र ने हर एक प्रयोगशाला का मूल्यांकन किया है। इस मूल्यांकन में निजी लैब में कोरोना के मामले तीन गुना ज्यादा होने की तीन वजह है। इनमें लोकेशन, लक्षणों का स्तर और टेस्टिंग को लेकर लैब का दृष्टिकोण शामिल है।

हैरान करने वाली बात यह है कि निजी लैब की संख्या सरकारी लैब के मुकाबले एक तिहाई से भी कम है।
सरकार के आंतरिक आकलन के अनुसार, देशभर में संचालित 182 निजी प्रयोगशालाओं में कोरोना पाजिटिव की दर 16-17% है जबकि सरकारी लैब में यह दर 5-6% फीसदी के बीच है। देशभर में 430 सरकारी लैब में कोरोना की जांच की सुविधा है।

ये नमूनों की भलीभांति जांच करती हैं। निजी लैब आमतौर पर पैसे वाले लोगों को आकर्षित करते हैं। आर्थिक रूप से सक्षम लोग स्वेच्छा से परीक्षण करने के लिए आते हैं। ये टेस्ट के लिए मोटी फीस का भुगतान करते हैं। दूसरी ओर, बिना लक्षणों वाले और बहुत हल्के लक्षणों वाले लोग सरकारी लैब में टेस्ट कराते हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ईटी को बताया, निजी लैब सरकारी लैब की तुलना में कहीं अधिक सकारात्मक मामलों की रिपोर्ट कर रहे हैं।