नोखा, बिहारीलाल बिश्नोई ने राजस्थान विधानसभा को पुलिस व कारागार विभाग की अनुदान मांगों व हकिकत से रूबरू करवाया, जिसे सरकार बिना कोई परिवर्तन किये चला रही


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नोखा, विधायक बिहारीलाल बिश्नोई ने आज राजस्थान विधानसभा में पुलिस व कारागार विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा में भाग लिया ।

विधायक बिश्नोई ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बहुत बिगड़ी हुई है । प्रदेश महिला अत्याचार, दुष्कर्म, दलितो पर अत्याचार में अव्वल है । प्रदेश की कानून व्यवस्था को सुधारने के लिए इसके मूल कारण में जाना होगा और नीचे थाना लेवल तक इसका सुधार करना होगा ।

बीकानेर में कानून व्यवस्था की स्थिति का हाल भास्कर ने उजागर किया जिसमें लिखा कि दो साल में 1.60 करोड़ पर हाथ साफ कर गए चोर-लूटेरे ,रिकवरी सिर्फ 3.57 प्रतिशत चोरी के 349 मुकदमों में 65 प्रतिशत का पता नहीं लगा। कैसे इंकबाल बुलंद रहे….. दो साल में लूट और चोरी की 226 वारदाते नहीं खोल पाई पुलिस, माल भी पूरा नहीं मिला।

विधायक बिश्नोई ने कहा कि पुलिस की मैन यूनिट पुलिस थाना होता है, जहां पर  आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने का काम होता है  वहां पर अनुसंधान अधिकारियों की स्थिति क्या है, नफरी की स्थिति क्या है, नफरी आधी ही नहीं है। प्रदेश में सब-इंस्पेटर के 2675 पद भरे है, 2080 पद रिक्त है, एएसआई के 4973 पद भरे है, 5149 पद रिक्त है। हैड कॉस्टेबल के 16024 पद भरे है, और 4324 पद रिक्त है, कॉस्टेबल के 69000 पद भरे है, 4000 पद रिक्त है।

थानों में नफरी बढाने की जरूरत है, लेकिन पद पहले से ही खाली है तो कानुन व्यवस्था कैसे सुधरेगी। राजधानी जयपुर कमिश्नरेट में 2013 से कॉस्टेबल से हेड कॉन्स्टेबल के प्रमोशन नहीं हुवे है, 2016 से हैड कॉस्टेबल से एएसआई प्रमोशन नहीं हुवे, 2015 से एएसआई से एसआई के प्रमोशन नहीं हुए। राजस्थान अपीलीय प्राधिकरण ने प्रमोशन हेतु स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए और अधिकारियों को फटकार भी लगाई है। लेकिन अभी तक प्रमोशन नहीं हुए है। प्रमोशन होने से थानों में अनुसंधान अधिकारी मिल जाते जिससे कानून व्यवस्था मजबूत होती। लेकिन बड़े अधिकारियों को इसकी चिन्ता नहीं है।

सरकार से मांग है कि इसके लिए कौन दोषी उसकी जिम्मेदारी तय करनी चाहिए। जब राजधानी के हालत ये है तो प्रदेश के हालात क्या होगें। थानों में अनुसंधान अधिकारी 5 है, तो उनकी मॉनिटरिंग करने वाले उनसे ज्यादा है, जो दिन में 10 बार मॉनिटरिंग करते है। जब तक नफरी नहीं बढेगी और प्रमोशन से अनुसंधान अधिकारी नहीं आयेगे तब तक कानून व्यवस्था नहीं सुधरेगी।

सरकार संसाधन उपलब्ध करवाने के लिए बजट देती है हमारी मांग है, कि संसाधन का बंटवारा नीचे से उपर होना चाहिए ताकि पुलिस थानों को भी संसाधन मिल सके। विधायक कोष से गाड़ी देने का प्रावधान किया जाना चाहिए।

पुलिस का नौजवान खाकी वर्दी पहनकर 18 से 20 घण्टे की ड्यूटी करता है, उसे ना तो रविवार की छूट्टी मिलती है और ना ही सरकारी अवकाश मिलता है। पुलिस के जवानों को भी दूसरे विभाग की तरह रविवार की छूट्टी, सरकारी अवकाश मिलना चाहिए। 

पुलिस कॉस्टेबल लम्बे समय से पे ग्रेड 3600 करने की मांग कर रहे है, उनकी मांग को मानना चाहिए। हार्ड ड्यूटी  भत्ता भी बढाना चाहिए। ड्यूटी का समय भी निर्धारित किया जाना चाहिए। सप्ताहिक एक अवकाश होना चाहिए। मेश व वर्दी भत्ता भी बढाना चाहिए। प्रत्येक थाने में पेट्रोल अलाउस भी दिया जाना चाहिए ताकि अनुसंधान अधिकारी जल्दी अनुसंधान कर सके जिससे आमजन को त्वरित न्याय मिल सके।

एसआई की भर्ती जो आरपीएससी करवाती है उसमें 20 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने का प्रावधान किया जाना चाहिए। आरएसी कम्पनियो का रोटेशन एक साल से बदला जाता है उसे पांच साल से बदलना चाहिए।

जेलकर्मी का वेतन भी पुलिस कॉस्टेबल के समान किया जाना चाहिए। हॉमगार्ड का मानदेय भी बढाना चाहिए।

एफएसएल जांच हेतु प्रयोगशाला को बढाया जाये और उनके रिक्त पदों को भरा जाये ताकि जल्द जांच आये और पीडित को जल्द न्याय मिल सके।

एसीबी अच्छा काम कर रही है फिर भी प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, इसलिए कार्मिकों के नैतिक बल को मजबूत करने के लिए सेमिनार आयोजित करने चाहिए। ताकि उनका नैतिक चरित्र और दृढ़ बन सके।

पांचू पुलिस थाना ग्रामीण क्षेत्र में है और बड़ा क्षेत्र है, इसलिए कक्कू में पुलिस चौकी खोलनी चाहिए। और नोखा में महिला थाना खोला जाये।