सांसद बेनीवाल ने पूर्व मुख्यमंत्री राजे पर लगाये ये आरोप पढ़े पूरी खबर…


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जयपुर, राजस्थान में भाजपा के सहयोगी दल आरएलपी से सांसद हनुमान बेनीवाल शुक्रवार को कोटा पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए एक बार फिर गहलोत और वसुंधरा राजे पर गठजोड़ का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 20 साल से राजस्थान में मिलाजुली का खेल चल रहा है। वसुंधरा-गहलोत के गठजोड़ की वजह से राजस्थान बर्बादी की कगार पर चला गया। राजस्थान शांत हुआ करता था। लोग उत्तरप्रदेश और बिहार से जयपुर में जमीन बेचकर बच्चों को पढ़ाने के लिए आते थे। वही राजस्थान अब गैंगवार का अड्डा बन गया। इसके लिए इनका गठबंधन ही दोषी है।

उन्होंने कहा कि राजस्थान में 5 लगातार रेप की घटना हुई। राजस्थान महिला उत्पीड़न में उत्तर प्रदेश से भी आगे है। इसके लिए कांग्रेस की सरकार जिम्मेदार है। बेनीवाल ने कहा कि राजस्थान में मिला जुली का खेल आपने भी देखा होगा। वसुंधरा राजे की सरकार में जो अधिकारी थे, वो गहलोत की सरकार में हैं। वहीं गहलोत की सरकार के अधिकारी थे, वो वसुंधरा के निजी अधिकारी थे। इस मिला जुली के खेल को कौन आरएलपी पार्टी खत्म करेगी।

कृषि बिल से किसानों का भला नहीं होने वाला- बेनीवाल

बेनीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार तीन कृषि बिल लेकर आई है। हमनें तीनों बिलों को पढ़ा है। इससे किसानों को भला नहीं होने वाला। जब ये बिल पास किए गए, मुझे कोरोना था इसलिए लोकसभा में मौजूद नहीं रह सका। बाद में लोकसभा पहुंचा। स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू होने से ही किसान का भला हो सकता है। मैं खुद किसान का बेटा हूं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एमएसपी खत्म नहीं होगी, लेकिन हम चाहते हैं कि किसान को लागत से डेढ़ गुना ज्यादा दाम मिले।

उन्होंने कहा कि मैं खुद किसानों से मिलूंगा। साथ ही प्रधानमंत्री जी से भी निवेदन करूंगा की इसमें लिखा है कि किसान और व्यापारी में किसी बात को लेकर मतभेद होता है तो अंतिम निर्णय एसडीएम करेगा। न्यायालय में आप नहीं जा सकते। अगर कोर्ट नहीं जा सकते तो किसान कहां जाएगा। झगड़े को निपटाएगा कौन। इसलिए आरएलपी पार्टी इन कृषि बिल का विरोध कर रही है।

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी राजस्थान में दम तोड़ रहा

बेनीवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार हर मोर्चे पर विफल है। तीन महीने सरकार में किस तरह गुटबंदी रही, सबने देखी। राजस्थान के मुख्यमंत्री को अपने विधायकों पर इतना अविश्वास हो गया कि जयपुर में रखा। फोन टेप हुए। अब मीडिया की सिविल लाइंस में एंट्री भी बंद कर दी। पत्रकारों पर भी एफआईआर की जा रही है। लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी राजस्थान में दम तोड़ रहा है। मीडिया बात नहीं उठाएगा तो कौन उठाएगा।