20 मार्च निर्भया के आरोपियों की फांसी कि परिक्रिया

नई दिल्ली, 16 दिसंबर 2012 की रात को हिंदुस्तान में कोई शख्स नहीं भूल सकता। राजधानी दिल्ली के मुनिरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया। इस मामले में दरिंदगी की वो सारी हदें पार की गईं, जिसे देखकर-सुनकर कोई दरिंदा भी दहशत में आ जाए। वारदात के वक्त पीड़िता का दोस्त भी बस में था। दोषियों ने उसके साथ भी मारपीट की थी. इसके बाद युवती और दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया था।

सात साल 3 महीने और तीन दिन पहले यानी 16 दिसंबर 2012 को देश की राजधानी में हुई इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. सड़कों पर युवाओं का सैलाब इंसाफ मांगने के लिए निकला था और आज जाकर उसका नतीजा निकला है। शुक्रवार सुबह दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद लोगों ने तिहाड़ के बाहर मिठाई भी बांटी।
निर्भया की मां आशा देवी ने लंबे समय तक इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ी, आज जब दोषियों को फांसी दी गई तो उन्होंने ऐलान किया कि 20 मार्च को वह निर्भया दिवस के रूप में मनाएंगी। आशा देवी का कहना है कि वह अब देश की दूसरी बेटियों के लिए लड़ाई लड़ेंगी।

पीड़िता का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज चल रहा था, लेकिन हालत में सुधार नहीं होने पर उसे सिंगापुर भेजा गया। वहां अस्पताल में इलाज के दौरान 29 दिसंबर को पीड़िता जिंदगी की जंग हार गई। पीड़िता की मां ने बताया था कि वह आखिरी दम तक जीना चाहती थी।

निर्भया के दोषियों को सजा दिलाने की लड़ाई दिल्ली की अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक होती रही। अदालती सुनवाइयों के दौरान ही निर्भया के एक दोषी ने जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। इसके बाद भी बाकी के चारों दोषियों ने कई बार कानूनी दांव-पेच खेले, कभी स्थानीय अदालत में याचिका तो कभी सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली। कई बार फांसी टली भी लेकिन आखिरकार शुक्रवार को चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया।
तिहाड़ जेल के फांसी घर में शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई। निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया और अब इनके शवों को पोस्टमार्टम के लिए ले जाया जाएगा। चारों दोषियों को फांसी देने से पहले का आधा घंटा काफी महत्वपूर्ण रहा। इस अवधि में दोषियों ने खुद को बचाने की कोशिश की, वे रोए, फांसी घर में लेट तक गए, लेकिन आखिरकार वह न्याय हुआ जिसका देश करीब सात साल से इंतजार कर रहा था।

इनमें से एक का लीवर मेरठ से आए जल्लाद पवन ने खींचा और दूसरे का लीवर जेल स्टाफ ने. चारों को फांसी देने के लिए 60,000 रुपये का जो मेहनताना तय किया गया था, वह पूरा जल्लाद को ही मिलेगा।

निर्भया के चारों दोषियों की ओर से आखिरी वक्त तक फांसी को टालने की कोशिश की गई। दोषियों के वकील एपी सिंह ने फांसी के दिन से एक दिन पहले दिल्ली हाई कोर्ट में डेथ वारंट टालने के लिए याचिका दायर की, लेकिन इसमें दोषियों के खिलाफ फैसला आया. आधी रात को वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और जब सर्वोच्च अदालत बैठी तो वहां भी निर्भया के दोषी कुछ ऐसी दलील नहीं दे सके जिसकी वजह से यह फांसी टले. हालांकि, एपी सिंह लगातार इस फांसी को गलत बताते रहे और मीडिया-अदालत और राजनीति पर आरोप मढ़ते रहे।

डीजी तिहाड़ जेल के मुताबिक, फांसी से पहले निर्भया के चारों दोषियों में किसी ने कोई आखिरी इच्छा जाहिर नहीं की। करीब 30 मिनट से तक चारों शव तख्ते पर लटके रहेंगे. 6 बजे डॉक्टर इनकी बॉडी की जांच करेंगे. फिर जेल सुपरिंटेंडेंट ब्लैक वारंट पर साइन करेंगे कि चारों को फांसी दे दी गई है. इसके बाद डेथ सर्टिफिकेट अटैच कर वापस ब्लैक वारंट कोर्ट जाएगा की आदेश का पालन हुआ।

दीन दयाल हॉस्पिटल में शवों का पोस्टमार्टम शुरू हो गया है। इसके बाद शवों को परिवार वालों को सौंपा जाएगा। अभी अक्षय का परिवार अस्पताल पहुंचा है। इसके अलावा किसी और दोषी के परिवार वालों ने शव लेने का दावा नहीं किया है। अगर रिश्तेदार शव नहीं लेते हैं तो तिहाड़ जेल प्रशासन ही शवों का अंतिम संस्कार करेगा।

निर्भया के चारों दोषियों ने कोई अंतिम इच्छा जाहिर नहीं की थी। तिहाड़ जेल प्रशासन का कहना है कि दोषियों की ओर से जेल में कमाए गए पैसे को उनके परिवारवालों को दिया जाएगा. इसके अलावा उनके कपड़े और सभी सामान भी परिवारवालों को दिए जाएंगे। मेडिकल अफसर ने चारों दोषियों पवन, अभय, मुकेश और विनय को मृत घोषित कर दिया है। थोड़ी देर में चारों शवों का दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम होगा, जिसके बाद उनके परिजनों को सौंपा जाएगा। हालांकि अभी किसी के परिवार ने शव लेने की बात नहीं की है। अगर परिवार वाले शव नहीं लेंगे तो पुलिस उनका अंतिम संस्कार करेगी।