R.खबर, ब्यूरो। लोकसभा के फर्स्ट फेज में 21 राज्यों-केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर शुक्रवार को वोटिंग हुई। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक हुई वोटिंग में 68.29 प्रतिशत लोगों ने मतदान किया। 2019 के मुकाबले यह आंकड़ा 1 प्रतिशत ही कम है। 2019 में फर्स्ट फेज में 91 सीटों पर 69.43% वोटिंग हुई थी।
शुक्रवार को जिन 102 लोकसभा सीटों पर वोटिंग हुई है, इनमें 2019 में भाजपा ने 40, DMK ने 24, कांग्रेस ने 15 सीटें जीती थीं। अन्य को 23 सीटें मिली थीं। फर्स्ट फेज में अधिकतर सीटों पर मुकाबला इन्हीं 3 दलों के बीच है। सीटों के हिसाब से यह सबसे बड़ा फेज है।
21 में से 4 राज्यों में 80% से ज्यादा वोटिंग हुई। इनमें सबसे ज्यादा लक्षद्वीप में 83.88% वोटिंग हुई है। इसके बाद त्रिपुरा में 81.62%, बंगाल में 80.55% और सिक्किम में 80.03% मतदान हुआ। 16 में 50-80% के बीच मतदान हुआ। एकमात्र बिहार 50% से नीचे रहा। यहां सबसे कम, 48.88%, वोटिंग हुई।
दो राज्यों, पश्चिम बंगाल और मणिपुर, में वोटिंग के दौरान हिंसा भी हुई। अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव के लिए भी वोट डाले गए। अरुणाचल में 76.44% और सिक्किम में 79.86% लोगों ने राज्य सरकार चुनने के लिए वोट डाले।
बंगाल और मणिपुर में झड़प, हिंसा, EVM जलाईं:-
पश्चिम बंगाल के कूचबिहार में भाजपा और TMC कार्यकर्ताओं के बीच पथराव: तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कूचबिहार के तूफानगंज में भाजपा कार्यकर्ताओं ने पोलिंग बूथ पर हिंसा की। तृणमूल एजेंट्स से मारपीट की गई है, इसमें कई घायल हैं। TMC ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता हथियारों के साथ बूथ के सामने खड़े होकर मतदाताओं को डरा रहे हैं। इस इलाके में गुरुवार रात भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने हिंसा की और तृणमूल के अस्थाई दफ्तर में आगजनी की। TMC ने भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की है। भाजपा ने भी तृणमूल के कार्यकर्ताओं पर हिंसा का आरोप लगाया है।
इम्फाल में उपद्रवियों ने EVM जलाई, तोड़फोड़ भी हुई:–
मणिपुर के पूर्वी इम्फाल जिले के मोइरंगकंपू में चुनाव के दौरान आगजनी की घटना सामने आई है। यहां उपद्रवियों ने EVM मशीन को जला दिया। जिले के खुरई लाईखुटलेंबी में गुस्साए लोगों ने EVM मशीन में तोड़फोड़ कर दी। इन लोगों का आरोप था कि हथियारबंद बदमाशों ने उनका वोट डाल दिया। वोटिंग के दौरान मणिपुर के बिष्णुपुर में भी फायरिंग हुई। मणिपुर की दो लोकसभा सीटों (मणिपुर इनर और मणिपुर आउटर) पर इस फेज में वोटिंग हुई। हिंसा को देखते हुए आउटर सीट के कुछ हिस्सों में 26 अप्रैल को भी वोटिंग होगी।
नगालैंड के 6 जिलों में वोटिंग जीरो:-
नगालैंड के 6 जिलों में लगभग 0% वोटिंग हुई है। ये जिले हैं- मोन, लॉन्गलेंग, तुएनसान्ग, नोकलाक, शामाटोर और किफिरे। ये सभी पूर्वी नगालैंड में आते हैं। ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन इन जिलों के लिए अलग प्रशासन और पहले से अधिक वित्तीय स्वंत्रता की मांग कर रहा है। इस संगठन ने इन जिलों के लोगों से चुनाव का बहिष्कार करने की अपील की थी।
21 राज्यों के 102 सीटों की डिटेल: फर्स्ट फेज में 1,625 प्रत्याशी:-
फर्स्ट फेज में 1,625 कैंडिडेट्स चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें 1,491 पुरुष और 134 महिला कैंडिडेट हैं। 8 केंद्रीय मंत्री, एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व राज्यपाल भी इस बार चुनाव मैदान में हैं। इस फेज के बाद 26 अप्रैल को दूसरे फेज की वोटिंग होगी। कुल 7 फेज में 543 सीटों पर 1 जून को मतदान खत्म होगा। सभी सीटों के रिजल्ट 4 जून को आएंगे।
161 कैंडिडेट्स पर हत्या, किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले दर्ज:-
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (ADR) ने 1,618 उम्मीदवारों के हलफनामे के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की। इनमें से 16% यानी 252 उम्मीदवारों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। 450 यानी 28% उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। 10 ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है, जबकि तीन के पास 300 से 500 रुपए की संपत्ति है।
ADR की रिपोर्ट के मुताबिक, 10% यानी 161 कैंडिडेट ऐसे हैं जिन पर हत्या, किडनैपिंग जैसे गंभीर मामले दर्ज हैं। 7 उम्मीदवारों पर हत्या और 19 पर हत्या की कोशिश के मामले हैं। 18 उम्मीदवारों पर महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज हैं। इनमें से एक पर रेप का मामला भी दर्ज है। वहीं, 35 कैंडिडेट्स पर हेट स्पीच से जुड़े मामले दर्ज हैं।
ये तीन उम्मीदवार है करोड़पति:-
ADR ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि इलेक्शन के पहले फेज में 1618 उम्मीदवारों में से 450 यानी 28% उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनके पास एक करोड़ या उससे ज्यादा की संपत्ति है। कैंडिडेट्स के पास औसत संपत्ति 4.51 करोड़ रुपए है।
10 उम्मीदवारों ने अपनी संपत्ति शून्य बताई है, जबकि तीन के पास 300 से 500 रुपए की संपत्ति है। तमिलनाडु की थुथुकूडी सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के. पोनराज 320 रुपए के साथ सबसे गरीब उम्मीदवार हैं।
फ़ास्ट फेज की हॉट सीटे:-
1.नागपुर (महाराष्ट्र):
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी महाराष्ट्र की नागपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। गडकरी यहां से हैट्रिक लगाने की कोशिश कर रहे हैं। वो पहली बार इस सीट पर 2014 में जीते थे।
उस चुनाव में गडकरी ने सात बार के सांसद कांग्रेस नेता विलास मुत्तेमवार को हराया था। 2019 के चुनाव में गडकरी ने कांग्रेस प्रत्याशी नाना पटोले को मात दी। इस बार कांग्रेस ने विकास ठाकरे को मैदान में उतारा है। वे नागपुर पश्चिम के विधायक हैं।
2. बीकानेर (राजस्थान):
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के पूर्व मंत्री गोविंद राम मेघवाल से है। बहुजन समाज पार्टी ने खेत राम मेघवाल को मैदान में उतारा है। अर्जुन राम मेघवाल पहली बार इस सीट पर 2009 में जीते थे। उन्होंने 2014 और 2019 का चुनाव भी जीता था।
3.अलवर (राजस्थान):
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव राजस्थान की अलवर सीट से चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला कांग्रेस के ललित यादव से है. वो अलवर की मुंडावर विधानसभा सीट से विधायक हैं।
अलवर से 2019 में बाबा बालक नाथ ने लोकसभा का चुनाव जीता था। बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में बाबा बालक नाथ विधायक चुने गए हैं। भूपेंद्र यादव का यह पहला लोकसभा चुनाव है। वो 2012 से ही राज्य सभा के सदस्य हैं।
4.छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश):
70 साल से ज्यादा समय से यह सीट कांग्रेस के पास है। बीते 45 साल से यहां नाथ परिवार का मेंबर जीत रहा है। हालांकि, 1997 में हुए उपचुनाव में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को 37 हजार से ज्यादा मतों से हरा दिया था। इसके बाद अगले ही साल कमलनाथ ने भी पटवा को बड़े अंतर से हराया।
कमलनाथ यहां 1980 से 2019 के बीच 9 बार सांसद रहे। 2018 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कमान बेटे को सौंपी और 2019 में मोदी लहर के बावजूद नकुलनाथ MP की यह सीट जीतने में कामयाब रहे। इस बार भी कांग्रेस के नकुलनाथ और भाजपा के विवेक बंटी साहू के बीच मुकाबला है। साहू 2019 उपचुनाव और 2023 विधानसभा चुनाव में कमलनाथ के हाथों हार चुके हैं।
5.मंडला (मध्य प्रदेश):
भाजपा ने यहां से 6 बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के चार बार के विधायक ओमकार सिंह मरकाम से है। इस सीट पर BJP की चिंता इस वजह से बढ़ी हुई है, क्योंकि 6 माह पहले हुए विधानसभा चुनाव के दौरान फग्गन सिंह कुलस्ते को मंडला जिले की निवास सीट से हार का सामना करना पड़ा था। मंडला संसदीय क्षेत्र के तहत आने वाली 8 विधानसभा सीटों में से 5 पर कांग्रेस तो 3 पर BJP का कब्जा है।
6.उधमपुर (जम्मू-कश्मीर):
जम्मू-कश्मीर की उधमपुर-डोडा लोकसभा सीट से तीसरी बार जीत के लिए मैदान में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह हैं। उन्होंने 2014 में जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद को 61 हजार वोटों से हराया था। इसके बाद 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम आदित्य सिंह को 3 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। कांग्रेस ने इस बार भाजपा के बागी चौधरी लाल सिंह पर दांव लगाया है।
7.अरुणाचल पश्चिम :
केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री किरण रिजिजू चुनाव अरुणाचल पश्चिम सीट से चुनाव मैदान में हैं। रिजिजू इस सीट से पहली बार 2004 में जीते थे। लेकिन उन्हें 2009 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
इसके बाद रिजूजू ने 2014 के चुनाव में जीत दर्ज की। वो 2019 में भी अरुणाचल पश्चिम सीट से चुनाव जीते। इस बार उनका मुकाबला पूर्व मुख्यमंत्री और अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नबाम तुकी से हैं।
8.कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) :
भाजपा ने इस सीट से केंद्रीय मंत्री निशीथ प्रमाणिक को मैदान में उतारा है, जबकि TMC ने जगदीश चंद्र बर्मा बसुनिया पर दांव खेला है। 2019 में कूचबिहार सीट से BJP उम्मीदवार निशीथ प्रमाणिक सांसद चुने गए थे। 2019 में निशीथ प्रमाणिक को तृणमूल कांग्रेस ने निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद वे BJP के टिकट पर कूचबिहार से चुनाव लड़े और जीत गए। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के अधिकारी परेश चंद्र को 54,231 वोटों के अंतर से हराया था।
9.नगीना (उत्तर प्रदेश) :
UP के बिजनौर जिले की नगीना लोकसभा सीट इस बार हाई-प्रोफाइल हो गई है। यहां युवा दलित नेता चंद्रशेखर आजाद अपनी पार्टी ‘आजाद समाज पार्टी’ से चुनाव लड़ रहे हैं। इसी वजह से सीट पर मुकाबला चार लोगों के बीच हो गया है। BJP की ओर से यहां नहटौर विधायक ओम कुमार मैदान में हैं तो इंडिया गठबंधन की ओर से पूर्व जज मनोज कुमार हैं।
बहुजन समाज पार्टी की ओर से सुरेंद्र पाल प्रत्याशी हैं। दरअसल, 2019 के मोदी लहर में भी यह सीट बसपा ने जीत ली थी। इस सीट से बसपा के गिरीश चंद्र जाटव ने जीत हासिल की थी, लेकिन मायावती ने उन्हें इस बार बुलंदशहर से मैदान में उतारा है।
विधानसभा चुनाव: अरुणाचल में 64%और सिक्किम में 68% वोटिंग
लोकसभा चुनाव में वोटिंग के साथ ही अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई।
अरुणाचल प्रदेश में शाम 5 बजे तक 64 फीसदी वोटिंग हुई। सिक्किम में 67.95फीसदी वोटिंग हुई। यह 2019 में हुई 78.63फीसदी वोटिंग से 10 फीसदी कम है।
अरुणाचल प्रदेश में 60 विधानसभा सीटें हैं। 19 अप्रैल को 50 सीटों पर एक फेज में वोटिंग हुई। दरअसल, 10 सीटों पर भाजपा को चुनाव से पहले ही जीत मिल चुकी है। इन 10 सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने निर्विरोध जीत दर्ज की। इनमें CM पेमा खांडू, डिप्टी सीएम चाउना मेन भी शामिल हैं।
अरुणाचल में अभी भाजपा के पेमा खांडू की सरकार है। 2019 में खांडू के नेतृत्व में भाजपा ने अरुणाचल में दूसरी बार सरकार बनाई थी।
सिक्किम में विधानसभा की 32 सीटों के लिए वोटिंग हुई। फिलहाल राज्य में सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा (SKM) की सरकार है। यहां प्रेम सिंह तमांग उर्फ पीएस गोले मुख्यमंत्री हैं।
1994 से लेकर 2019 तक राज्य में सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट (SDF) की सरकार रही। पार्टी के चीफ पवन चामलिंग लगातार 24 साल 166 दिन तक सीएम पद पर रहे। 2019 विधानसभा चुनाव में SKM को 17 सीटें मिली थीं, वहीं चामलिंग की पार्टी को 15 सीटें ही मिली थीं।
साभार – दैनिक भास्कर एप