साहित्य अमरता का मार्ग है: विपिन चंद्र पाठक


rkhabar rkhabar

बीकानेर, सोशियल मीडिया के माध्यम से कोरोना लॉकडाउन के चलते अखिल भारतीय साहित्य परिषद जोधपुर प्रांत कार्यकारिणी की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में क्षेत्रीय संगठन मंत्री विपिन चंद्र पाठक ने सान्निध्य प्रदान करते हुये साहित्यकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साहित्य अमरता का मार्ग है। आज बाबा तुलसीदास रामचरितमानस, हनुमान चालीसा लिखकर अमर हो गये जिनका हम प्रतिदिन अपने अपने जीवन में अध्ययन करते हैं। साहित्य लेखन के माध्यम से व्यक्ति चिरायु हो सकता है। संगठन मंत्री विपिन चंद्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि या वैश्विक महामारी का काल है जिसने समस्त गतिविधियों को रोक दिया है साहित्यकारों का दायित्व है कि वह समाज का सहयोग करते हुए अपना उत्तरदायित्व निभाए तथा इस एकांतवास का उपयोग करके श्रेष्ठ साहित्य रचना करें आने वाले समय में वैचारिक विमर्श के दौरान नए साहित्यकारों और साहित्यकारों तथा सभी प्रकार के विचारों वाले साहित्यकारों से समन में बिठाकर हमें समाज और देश अनुकूल साहित्य के द्वारा समाज को दिशा प्रदान करनी होगी इस काल में नए-नए अंतर्संबंध नए-नए मानवीय मूल्य और नई संवेदना ओं को अपनी कल्पना के द्वारा साहित्य में पिरो कर एक नए प्रकार का साहित्य समाज के सामने रख सकते हैं एकांतवास हमें मानसिक और शारीरिक परिष्करण का अवसर प्रदान करने वाला है इसलिए हम सकारात्मक सोच के साथ इसका संवर्धन कर सकते हैं ऑनलाइन बैठक में वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखे और अपने-अपने क्षेत्रों में किए जाने वाले करो ना पीड़ितों को सहयोग प्रदान करने हेतु योगदान पर भी चर्चा की तथा आने वाली गतिविधियों और कार्य योजना पर भी विचार किया गया। लगभग ढाई घंटे की मैराथन बैठक में देश हित समाज और समाज पर गंभीर चिंतन मनन हुआ ।बैठक में मार्गदर्शन करते हुये
क्षेत्रीय अध्यक्ष डाक्टर अन्नाराम शर्मा ने कहा कि साहित्य से आपसी समरसता को बढ़ावा मिलता है उन्होंने साहित्य के विकास के लिये कहा कि अभी लॉकडाउन के समय में सभी को कुछ न कुछ गद्य, पद्य, यात्रावृतांत आदि लिखना चाहिये।
साहित्य के माध्यम से विचारों का आदान प्रदान होता है और नई ऊर्जा का संचार भी। देश व समाजहित में कुछ लिखने की प्रेरणा साहित्य के द्वारा ही मिलती है। जोधपुर प्रान्त महामंत्री कर्ण सिंह बेनीवाल ने कहा कि साहित्य परिषद को वर्षप्रतिपदा, गुरुपूर्णिमा, वाल्मीकि जयंती पर साहित्य संगोष्ठी करनी अनिवार्य है। राजस्थान में गोस्वामी तुलसीदास जयंती, हिन्दी दिवस पर भी कार्यक्रम करने चाहिए ।सभी विभाग व जिला संयोजक अपने अपने जिले में साहित्यकारों की सूची बनायें और उनके साथ कार्यक्रम करें जिससे साहित्यक गतिविधियां बढ़ सकें।बैठक की अध्यक्षता डॉ नरेंद्र मिश्र द्वारा की गई । इन्होंने सभी आभार व्यक्त करते हुये परिषद की विभिन्न गतिविधियों पर अपनी बात रखी ।व सर्वप्रथम परिचय करवाया व फिर परिषद गीत किया । बैठक का संचालन कर्ण सिंह बेनीवाल द्वारा किया गया ।
मीटिंग में लालाराम प्रजापत, पवन पाण्डेय, गोरधन सिंह सोढ़ा, प्रहलाद सिंह झोरडा, हरिदास व्यास, विक्रम सिंह, अखिलानंद पाठक, नवनीत शर्मा, प्रेमप्रकाश पारीक, कामिनी ओझा, दिनेश गौड, शिवराज भारतीय, डाॅक्टर श्रीलाल, सत्यपाल संदू, परमानंद भट्ट, विनोद ओझा , प्रदेश महामंत्री डॉ केशव शर्मा, डा. महेन्द्र सिंह,डॉ S N भारद्वाज,जयपुर प्रान्त अध्यक्ष डॉ ओमप्रकाश भार्गव, मगनलाल प्रजापत, कमलसिंह चारण, अश्विनी श्रीमाली, मोनिका जी गोड़ नवनीत शर्मा दिनेश गोड़,चन्द्र प्रकाश गुप्ता,पवन जी पांडे ,अरुणा जी गुलगुलिया ,कविता जी ,गणेश अरोड़ा,अरुण सुथार,रमेश अरोड़ा,कमल सिंह चारण इत्यादि ने भाग लिया।

अरुणा गुलगुलिया
अखिल भारतीय साहित्य परिषद खाजूवाला इकाई ।