खाजूवाला: सचमुच मां है जीवनदायिनी, किडनी दे बचाई बेटी की जान

खाजूवाला, बेटे के लिए किडनी, लिवर व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों में परिजन लाखों रुपए खर्च कर एवं अंगदान करके जीवन बचाते हैं, मगर बेटी के लिए जीवन बचाने के उदाहरण बहुत ही कम देखे जाते हैं। सरकार की ओर से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करके बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ एवं बेटियों को प्रोत्साहित करने हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं भी चलाई जाती हैं। शायद इसी का नतीजा है, जो आज लोग आगे आकर अपनी बेटियों का जीवन बचाने एवं संवारने के लिए विभिन्न प्रकार के जतन करते देखे जा सकते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण बीकानेर के पूगल कस्बे में दिखा। वार्ड नंबर चार में रहने वाली जीव कंवर चारण ने अपनी 22 वर्षीय शादीशुदा बेटी मीना चारण के लिए अपना एक गुर्दा दान कर उसका जीवन बचाया। ट्रांसप्लांट साढ़े तीन साल पहले 29 अक्टूबर 2021 को जयपुर के महात्मा गांधी चिकित्सालय में करवाया गया। उस समय ट्रांसप्लांट में भी इन्होंने 8 लाख रुपए खर्च किए। साढ़े तीन साल से मां-बेटी दोनों सामान्य जीवन जी कर घर का पूरा कामकाज कर लेती हैं।
तब पहली बार पता चला…
किडनीदाता जीव कंवर चारण ने बताया कि हमें इस बीमारी के बारे में किसी प्रकार का ज्ञान नहीं था। बेटी के बीपी ज्यादा बढ़ा हुआ था। अस्पताल में गए, तो जांचों के दौरान डॉक्टर ने बताया कि गुर्दा खराब है। इसके साथ ही डायलिसिस शुरू कर दिया गया। उसी दौरान कोरोना जैसी महामारी फैल गई। डायलिसिस करवाने हेतु बीकानेर एवं जयपुर के अस्पतालों में चक्कर काट रहे थे।
कोरोनाकाल ने डराया, लेकिन…
उस दौरान कोई गाड़ी वाला भी किराए से गाड़ी लेकर अस्पताल जाने में घबराता था। जाता भी था, तो मनमाना किराया भी वसूल कर लेता था। फिर भी हिम्मत करके दो साल तक डायलिसिस पर निर्भर रहे। आखिर में मां ने अपना एक गुर्दा बेटी को दान करने का फैसला किया। ऊपरवाले ने भी साथ दिया और मां-बेटी दोनों ही अब स्वस्थ हैं। इन कठिन परिस्थितियों में हमारे दामाद शैतान दान देथा ने हमें पूरा सहयोग प्रदान किया। तब से हम दोनों मां बेटी राजी खुशी अपना सामान्य जीवन व्यतीत कर रही है। एवं घर का सारा कामकाज भी कर लेती हैं।