आर्मेनिया व जोर्जिया के भारतीय राजदूत देवल पहुंचे अपने पैत्रिक गाँव बच्चों के साथ किया संवाद


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खाजूवाला, आर्मेनिया व जोर्जिया के भारत राजदूत के.डी. देवल जो मूल निवास खाजूवाला के सीमावृति गाँव आनन्दगढ़ है। वे सोमवार को अपने गाँव पहुंचे। जहां उनका स्वागत धूमधाम से किया गया। इस मौके पर राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आनन्दगढ़ में सांस्कृतिक कार्यक्रम व पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें भारतीय राजदूत के.डी.देवल मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस मौके पर राजस्व तहसीलदार विनोद कुमार गोदारा, प्रधानाध्यापक मंजू सोनानिया, बीएसएफ 114 वीं वाहिनी के द्वितीय कमान अधिकारी अरूण कुमार, अध्यापक छत्रपाल, सरपंच करणाराम पूनियां आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूआत माँ सरस्वती के आगे दीप प्रज्जलित कर किया गया।
व्याख्याता हरिराम चौधरी ने बताया कि सीमावृति गाँव आनन्दगढ़ के मूल निवासी आर्मेनिया व जोर्जिया के भारतीय राजदूत के.डी.देवल सोमवार को विद्यालय के कार्यक्रम में पहुंचे। यहां इस मौके पर प्रधानाध्यापक मंजू सोनानिया ने कहा कि भारत-पाक सीमा पर बसे गाँव के निवासी जो आज राजदूत के पद पर आसीन है। हमें गर्व होता है कि हमारे गाँव के के.डी.देवल इतने बड़े पद पर आसीन है। वहीं उन्होंने कहा कि सीमावृति विद्यालय होने के कारण विद्यालय में पर्याप्त स्टाफ नहीं है। विद्यालय में 19 अध्यापकों का पद स्वीकृत है जबकि 7 ही कार्यरत है। अगर अधिक स्टाफ हो तो विद्यालय में बच्चों की संख्या व परीक्षा परिणाम में बेहतर सुधार किया जा सकता है। इसी के साथ ही राजस्व तहसीलदार ने बच्चों को लक्ष्य निर्धारित करने के लिए संदेश दिया। तहसीलदार गोदारा ने कहा कि परिस्थितियां चाहे कैसी भी हो बच्चों को अपना लक्ष्य हमेशा से निर्धारित रखना चाहिए। दूसरा काम फिर आपके पास कड़ी मेहनत करना होगा। कड़ी मेहनत की बदौलत आप सफलता पा सकते है। इस मौके पर अधिकारी ने 12 वीं कक्षा के बच्चों को प्रतिक चिह्न देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर विद्यालय द्वारा अधिकारी के.डी.देवल को साफा पहनाकर व प्रतिक चिह्न देकर सम्मानित किया गया।


आई.एफ.एस.अधिकारी के.डी. देवल ने बच्चों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सफलता का मूल मंत्र है कि आप हमेशा से अपना लक्ष्य निर्धारित रखे और उसके बीच आने वाली सभी विषम परिस्थितियों को भुलाकर निरन्तर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर रहे। मैंने बहुत विषम परिस्थितियों में रहकर पढ़ाई की। मेरे माता-पिता गरीब होने के साथ-साथ अनपढ़ थे लेकिन उन्होंने हमेशा मुझे पढ़ाई करने को प्रेरित किया। जिससे आज मैं इस मुकाम पर पहुंचा हूँ। जड़ों से जुड़ाव जरूरी है। आप हमेशा कुछ भी बन जाओं लेकिन आपको अपने मूल लोगों व भाई बन्धुओं तथा गुरुजनों को कभी नहीं भूलना चाहिए। अगर किसी पेड़ को जड़ से काट दिया जाता है तो वह कुछ समय बाद वह पेड़ सुख जाता है। वहीं विद्यालय के स्टाफ सम्बन्धी जानकारी लेने के बाद आश्वस्त किया कि राजस्थान के मुख्यमंत्री व शिक्षामंत्री को पत्र भेजकर विद्यालय में स्टाफ लगवाने का प्रयास किया जाएगा। इस मौके पर अधिकारी देवल ने 12 वीं कक्षा के लिए फूल फर्निचर देने की घोषणा भी की।


अधिकाारी ने बच्चों से किया संवाद
सोमवार को के.डी.देवल अपने पैत्रिक गाँव के विद्यालय में पहुंचे। जहां उन्होंने बच्चों के बीच जाकर संवाद किया। जिसपर कक्षा 10 वीं छात्रा सुगना कुमारी ने पूछ कि आप ऐसा क्या काम करते है जिससे आपको राजूदत कहा जाता है। जिसपर अधिकारी ने बच्ची की सवाल का पूरा जवाब दिया। कक्षा 10 के छात्र अशोकदान ने उनसे पूछा कि आपने किसी परिस्थिति में रहकर पढ़ाई की। जिसपर उन्होंने अपने पढ़ाई के लम्हों को सांझा किया। छात्रा कक्षा 12 वीं की अर्चना कुमारी ने अधिकारी से आईएएस के बारे में व अशोक कुमार कक्षा 12 के छात्र ने अधिकारी से आर.ए.एस. अपने के लिए क्या करें सवाल पूछा। जिसपर अधिकारी ने उन्हे पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया।


ये बच्चे हुए सम्मानित
सोमवार को राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय आनन्दगढ़ में अधिकारी के.डी.देवल व प्रधानाध्यापक मंजू सोनानिया ने विद्यालय के अशोक कुमार, अर्चना, जानकी, ममता, मनोज, मुकेश, पूनम, राकेश, राकेश कुमार, रामप्यारी, राजूदान, संजू व अमित आदि बच्चों को सम्मानित किया गया।

ये रहे उपस्थित
सोमवार को कार्यक्रम को बीएसएफ कम्पनी कमाण्डर अनिल पटेल, सब इंस्पेक्टर सोरभ भदोरिया, सरपंच प्रतिनिधि मदनलाल पूनियां, ग्रामीण प्रेमदान चारण, बाबुदान चारण, प्रधानाध्यापक मंजू सोनानिया, व्याख्याता रामजस, व्याख्याता हरिराम, वरिष्ठ अध्यापक रामजीवन मीणा, अध्यापक सुरेश कुमार, सोहनलाल बिश्नोई व श्रवण कुमार आदि उपस्थित रहे।


इन भामाशाहों ने किया सहयोग
विद्यालय के विकास के लिए राजदूत के.डी.देवल ने 12 वीं कक्षा को फूल फर्निचर देने की बात कही इसी के साथ ही भगवानदान ने 25 हजार, किशनदान ने 25 हजार रुपए, अमोलकदान ने 11 हजार रुपए, सुखविन्द्र सिंह ने 15 हजार, ओमप्रकाश ने 20 हजार रुपए, लक्ष्मण सिंह बराड़ 20 हजार रुपए, बलराम खीचड़ ने 20 हजार रुपए, 60 हजार रुपए पूंजदान आदि भामाशाहों ने सहयोग राशि दी है।