R. खबर ब्यूरो। टोंक जिले के पीपलू गाँव में एक किसान परिवार ने तहसीलदार से सामूहिक आत्महत्या की अनुमति मांग उठाई है। परिवार के लोगों ने बताया कि पीपलू पंचायत समिति प्रधान सहित कर्मचारियों पर मिल कर फर्जी तरीके से जमीन हड़प कर उन्हें जमीन से बेदखल करने का आरोप लगाया है।
पीड़ित शंकर बैरवा ने बताया कि हमारी पैतृक खातेदारी व कब्जे काश्त भूमि ग्राम पीपलू में है और शंकर ने कहा कि हम इस पर खेती कर जीवन यापन कर रहे हैं। हमारे जीवन यापन का एक मात्र आय का संसाधन यह जमीन ही है। यह जमीन देवा बैरवा की खातेदारी में थी और इनके चार बेटे है जगन्नाथ, काना, रामचंद्रा व भंवर है। यह चारों भाई संयुक्त परिवार में रहते थे, लेकिन परिवार का सबसे बड़ा होने जमीन की खातेदारी जगदीश उर्फ जगन्नाथ व उनके वारिसान के नाम दर्ज हो गई, लेकिन देवा बैरवा के चारों पुत्रों ने बराबर बंटवारा कर काश्त कर रहे थे। संयुक्त परिवार होने से उनके बीच कोई विवाद नहीं था, देवा बैरवा और उनके पुत्रों का निधन हो चुका है उनके वारिसान अलग अलग हो चुके हैं, लेकिन जगदीश उर्फ जगन्नाथ ने भाइयों के हिस्से की जमीन उनके नाम नहीं करवाई और अब उसे हड़पने की कोशिश कर रहा है।
परिजनों ने आरोप लगाया कि जगदीश के वारिसों ने राजनीतिक प्रभाव रखने वाले, पूर्व सरपंच, पूर्व पंचायत समिति सदस्य, प्रधान पति सत्यनारायण चंदेल को बेचान कर हड़पने की कोशिश कर रहे है। सत्यनारायण चंदेल ने कोर्ट के स्थगन आदेश को भी न्यायालय आर.ए.ए. टोंक से राजनीतिक दबाव कर स्थगित करवा दिया है। परिजनों ने टोंक जिला कलेक्टर को भी ज्ञापन सौंपकर मांग उठाई है कि जमीन की रजिस्ट्री उनके नाम नहीं की जाए। प्रधान पति सत्यनारायण चंदेल इस जमीन को हड़पने पर आमादा है। क्योंकि यह जमीन ही हमारे परिवार के पालन पोषण का एकमात्र जरिया है। ऐसे में अगर जमीन हड़प ली जाती है तो फिर हमें सामूहिक आत्महत्या की अनुमति देने का कष्ट करें। परिजनों के सामूहिक आत्महत्या की गुहार लगाने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है।