रितेश यादव
खाजूवाला, भारत देश आज पूरे विश्व में एक बड़ी शक्ति के रूप में आगे बढ़ रहा है। देश के विकास के नाम पर बड़े-बड़े दावे भी किए जाते है। वहीं ४ जी के जमाने में मोबाईल कम्पनियां ग्राहको को अपने बेहतर प्लान तथा बढिय़ा इंटरनेट स्पीड के लिए लुभावने लालच दे रही है। इसका बिलकुल विपरित आपको भारत-पाक अन्र्तराष्ट्रीय सीमा पर देखने को मिलेगा। एक नजर सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वाले लोगों पर भी डालने की जरूरत है। उनको भी जरूरत है देश की हर एक सुविधा की, लेकिन ऐसा नही हो पा रहा है। जिसके कई पहलु हमारे सामने आ सकते है, अगर एक नजर सीमावर्ती क्षेत्र के किसानों व अन्य जनता पर डालें, तो एक बड़ी समस्या मोबाइल नेटवर्क की है।
जिसकी वजह से भी सीमावर्ती एरिया के लोगो को हम आज भी पिछ?ा हुआ मान सकते है।
भारत-पाक अन्र्तराष्ट्रीय सीमा पर बसे कस्बे खाजूवाला के कुछ गाँव ऐसे भी है जहां किसानों को मोबाईल टावर की समस्या से जुझना पड़ रहा है। यहां लोगों के घरों में रेंज नहीं आती है तो वह इसका जुगाड़ बना ही लेते है। मंगलवार को ऐसा ही एक उदाहरण देखने को सामने आया।
मंगलवार को सीमा के पास बनी एक ढ़ाणी में किसान द्वारा एक लकड़ी का डंडा खड़ा कर उसमें मोबाईल टंगाया हुआ देखने को मिला। भारत में आये दिन नये नये अविष्कार हो रहे है। अभी कुछ ही दिनों में एयरटेल व जिओ कम्पनी 5 जी नेटवर्क लोंच करने जा रही है। इसका फायदा पूरा देश उठाएगा लेकिन देश का कुछ हिस्सा जो अन्र्तराष्ट्रीय सीमा पर बसा है वहां आज भी मोबाइल में रेंज तक भी नहीं पहुँच पायी है। जिसको लेकर आज के आधुनिक भारत में भी सीमावर्ती किसानों को व अन्य जनता को भी किसी प्रकार की सुविधा का पूर्णत लाभ नही मिल पा रहा है। भारत में सभी सुविधा होने के बाद भी सीमावर्ती किसानो का व अन्य जनता को ये सब एक सपना ही लगता है। उन्हें बस एक उम्मीद सी है कि कभी ना कभी उन्हें भी आधुनिक भारत का कुछ तो लाभ मिलेगा। सीमा के किसानों के साथ-साथ सीमा की सुरक्षा कर रहे बीएसएफ के जवानों को मोबाईल टावर की सुविधा नहीं मिल रही है। बीएसएफ के जवानों को अगर अपने घर पर बात करनी होती है तो वह बड़े रेत के टीले पर या बॉर्डर से दो-तीन किलोमीटर अन्दर जाकर बात करने को मजबूर है।