नहर आया पर्याप्त पानी तो किसान हो जाएगा निहाल


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खाजूवाला, अगर किसान को समय पर पूरा सिंचाई पानी मिल जाये तो अन्नदाता को कोई कमी नहीं है लेकिन पानी को लेकर अधिकारियों की लापरवाही ही किसान को अक्सर बर्बाद करती है। किसान की फसल के बिजान से लेकर पकाव तक अगर रेगुलेशन बनाया जाये और अतिरिक्त पानी को एस्कैप की बजाय नहरों में ही डाला जाये तो क्षेत्र का किसान बर्बादी से बच सकता है। बीकानेर जिले की अग्रणी कृषि प्रधान मण्डी खाजूवाला जो कि सीमावर्ती क्षेत्र अन्तर्राष्ट्रीय भारत-पाक बॉर्डर पर स्थित है। अंतिम छोर की मण्डी होने के कारण प्रत्येक क्षेत्र में खाजूवाला के साथ सौतेला व्यवहार ही होता आया है। सिंचाई पानी हो, सड़क, बिजली, परिवहन सब को लेकर हमेशा खाजूवाला के साथ न्याय नहीं हुआ। अगर समय पर किसानों को पूरा सिंचाई पानी मिलता रहे तो खाजूवाला की मिट्टी पंजाब को पीछे छोड़ती है। खाजूवाला क्षेत्र का किसान अंतिम छोर पर बसा हुआ है, इसका खामियाजा अक्सर भुगतना पड़ता है। डैम में पानी की भरपूर मात्रा होने के बावजूद भी अंतिम छोर का किसान हर बार एक बारी पानी की वजह से बर्बाद होता है। कोई वर्ष ऐसा नहीं गया कि किसानों ने सिंचाई पानी के लिए आन्दोलन ना किया हो। सरकारें आती और जाती रहती हैं लेकिन सरकार कभी अन्नदाता के बारे में नहीं सोचती अन्यथा हमेशा फसल के बिजान से लेकर पकाव तक रेगुलेशन बनाया जाता। सरकार और सिंचाई विभाग मिलकर जब भी रेगुलेशन बनाते हैं, अपने हिसाब से और अगर किसान की राय लेकर रेगुलेशन बनाया जाये तो किसान बर्बादी से बच सकते हैं। अनूपगढ और पूगल शाखा के किसान एक बारी पानी न मिलने के कारण अपनी पकी पकाई फसल को आंखों के सामने बर्बाद होते अक्सर देखते आये हैं। वर्तमान में डैम में पानी की भरपूर मात्रा होने के बावजूद भी पानी को नहरों में डालने की बजाय एस्कैप में डाला जा रहा है। अगर इसी पानी को नहरों में चलाया जाये तो क्षेत्र का किसान निहाल हो सकता है। सिंचाई विभाग के आला अधिकारियों से जानकारी चाही गई तो सही जानकारी देने की बजाय अपने-अपने उच्चाधिकारियों के आदेशों का हवाला देकर इति श्री कर ली। अगर एस्कैप की बजाय नहरों में पानी चलाया जाता है तो नहरें टूट सकती हैं, ऐसी बातें किसानों को भी सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने कहीं, किसानों को कहा कि आंधी के कारण नहरों में पेड़ टूट कर गिर गये हैं। अगर नहर में पानी चलेगा तो अधिकारियों को किसानहित में नहरों की निगरानी करनी पड़ती हैं, ऐसे में रेगुलेशन के अनुसार तो पूगल और अनूपगढ शाखा में पानी छोडऩा ही पड़ेगा और निगरानी भी रखनी पड़ेगी लेकिन एस्कैप में छोड़े गये पानी को नहरों में चलाने की बात पर कहा गया कि नहरों में आंधी के कारण पेड़ गिर गये हैं। गौरतलब है कि मंगलवार को पूगल शाखा में पानी छोड़ा जायेगा, ऐसे में कौनसा पूगल शाखा को संभाला गया है और कौन से टूटे हुए पेड़ों को नहर से निकाला गया है। मंगलवार सुबह 6 बजे पूगल शाखा मे ंवरीयता के अनसुार पानी छोड़ दिया जायेगा, अगर पानी के आगे डाफ (रुकावट) लग गई तो अधिकारी तो तुरंत नहर में पानी कम कर देंगे। नुकसान होगा तो किसान का, इससे सिंचाई विभाग के अधिकारियों को कोई सरोकार नहीं है अन्यथा उच्चाधिकारी अतिरिक्त पानी को लेकर चिंतित होते। अन्नदाता का भला तो भगवान ही कर रहा है अन्यथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों के भरोसे तो किसानों की फसल नहीं पक सकती।  किसान नंदराम ने सिंचाई विभाग के उच्चाधिकारी से पानी से संबंधित जानकारी चाही तो उन्हें कहा गया कि अभी मैं महाभारत देख रहा हूं, आप उपर रेगुलेशन वालों से बात कर लो, अगर हमारे अधिकारी ऐसे जवाब किसानों को देंगे तो किसानों को भला कैसे होगा, ये बहुत ग भीर और जांच का विषय है। सिंचाई पानी को लेकर क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि सिंचाई विभाग के उच्चा अधिकारियों के साथ बातचीत कर किसान हित में निर्णय लें अन्यथा क्षेत्र का अन्नदाता बर्बाद हो जायेगा और वर्तमान समय कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से गुजर रहा है। खाजूवाला क्षेत्र में कभी पानी का मनैजमेंट सही न होने, कभी ओलावृष्टि, कभी अतिवृष्टि और कभी टिड्डियों के हमला करने से क्षेत्र का किसान नुकसान झेल रहा है।