ग्राम पंचायत 40 केवाईडी में पिता की जगह पुत्र कर रहा था कार्य, श्रमिकों के लिए नहीं है छायां व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था
खाजूवाला, राज्य सरकार जहां कोरोना महामारी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में श्रमिकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए अधिक से अधिक श्रमिक मनरेगा में नियोजित करने का प्रयास कर रही है। वहीं प्रशासनिक अधिकारी व अन्य कार्मिकों के लिए यह चांदी कूटने का अवसर शाबित हो रहा है। धरातल पर जहां नियोजित श्रमिकों में से आधे श्रमिक भी उपस्थित नहीं हो रहे है। वहीं फर्जी तरीके से भी भुगतान उठाने के मामले सामने आने की जानकारी मिली है।
गौरतलब है कि शनिवार को मामले कि पड़ताल में पंचायत समिति खाजूवाला क्षेत्र की ग्राम पंचायतों में चल रहे मनरेगा कार्यों की पोल खुलकर सामने आ गई है। शनिवार को पत्रिका द्वारा ग्राम पंचायत 3 पीडब्ल्यूएम व ग्राम पंचायत 40 केवाईडी में मनरेगा के चल रहे कार्यों को देखा तो पाया कि इन कार्यों में आधे से भी कम मजदूर कार्य कर रहे है। वहीं मजदूर कार्य कम आराम ज्यादा करते पाए गए। वहीं मजदूरों के लिए मौके पर न तो छांया की व्यवस्था थी और न ही पीने के पानी की व्यवस्था पाई गई। एक स्थान पर तो श्रमिक ही नहीं मिले। जिसके मेट से पूछा गया तो कहा कि आज छुट्टी कर दी। कार्यों के निरीक्षण के लिए पंचायत सहायक एक बार जरूर गए लेकिन उसके बाद न तो ग्राम विकास अधिकारी ने मौके देखे और नही पंचायत समिति के नरेगा शाखा से किसी अधिकारी ने मौका निरीक्षण किया।
खाजूवाला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत 3 पीडब्यूएम में मनरेगा कार्य खाला पटड़ा बनाना व मिट्टी हटाने का कार्य चल रहा है। जिसपर हमारी टीम पड़ताल करने पहुंची तो 75 मजदूरों में से 30 मजदूर ही मौके पर मिले तथा मौके पर मजदूर पेड़ों के नीचे आराम करते हुए मिले। मेट से जब इस सम्बन्ध में पूछा गया तो मेट ने कहा कि आज कुछ मजदूर नहीं आए लेकिन मेट ने शनिवार के दिनांक की हाजरी भी नहीं लगाई थी। वहीं मस्टॉल भी आधा भरा हुआ पाया गया। यहां श्रमिक राजकुमार ने बताया कि श्रमिकों के लिए पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। पानी खुद को ही लाना पड़ता है। वहीं 35 व्यक्ति ही मौजूद रहते है। मौके पर छांया की व्यवस्था करने की मांग की।
खाजूवाला पंचायत समिति की ग्राम पंचायत 40 केवाईडी में मनरेगा कार्य खाला पटड़ा बनाना व मिट्टी हटाने का कार्य चल रहा है। जिसमें मौके पर दो कार्य देखे गए। जिसमें 41 केवाईडी के कार्य में 28 श्रमिक कागजों में चल रहे थे लेकिन मौके पर 12-14 ही पाए गए। जिसपर मेट से जानकारी लेने पर मेट ने कहा कि बाकी मजदूर थोड़ी देर पहले ही चले गए है। यहां पर भी श्रमिक कम व हाजरी ज्यादा की भरी जा रही थी। मौके पर मस्ट्रॉल में शनिवार की हाजरी नहीं लगाई हुई थी। वहीं मेट ने बताया कि मुझे कार्य का अनुभव नहीं है जिसके कारण मैं कागजरी कार्य नहीं कर पा रहा हूँ। यहां एक श्रमिक ओम सिंह की जगह उसका पुत्र जितेन्द्र सिंह काम करता हुआ मिला। वहीं 43 केवाईडी ए में तो मौके पर एक भी श्रमिक नहीं काम करता हुआ नहीं मिला। वहीं पूछताछ कर मेट से मिलने पर मेट करणाराम ने बताया कि आज जल्दी छुट्टी कर दी। लेकिन पूछताछ पर मालूम हुआ कि यहां श्रमिक लगते ही नहीं है।
खाजूवाला पंचायत समिति के अन्र्तगत आने वाली ग्राम पंचायतों में इन दिनों भ्रष्टाचार का बोलबाला है। यहां सरपंच के कार्यकाल पूर्ण होने पर प्रशासक लगाए गए है वहीं विकास अधिकारी के हस्ताक्षर से ही खातों से पैसे उठाए जाते है। ग्राम विकास अधिकारियों के साथ विकास अधिकारी द्वारा सांठ-गांठ कर सरकार के लाखों करोड़ों रुपए का फर्जी तरीके से कार्य दिखाकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है।