R.खबर ब्यूरो। केंद्र सरकार देश में न्यूनतम वेतन यानी मिनिमम वेज (Minimum Wage) की व्यवस्था खत्म करने की तैयारी में है। इसकी जगह अगले साल से देश में जीवनयापन वेतन यानी लिविंग वेज (Living Wage) की व्यवस्था लागू करने का प्लान है। सूत्रों के मुताबिक सरकार ने इस व्यवस्था की रूपरेखा बनाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) से तकनीकी सहायता मांगी है। लिविंग वेज वह न्यूनतम आय होती है जिससे कोई मजदूर अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसमें आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़ें शामिल हैं। आईएलओ ने इसी महीने की शुरुआत में इसे मंजूरी दी थी। सरकार का दावा है कि यह बुनियादी न्यूनतम वेतन से अधिक होगा। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि हम एक साल में न्यूनतम वेतन से आगे जा सकते हैं।
सरकार देश में न्यूनतम वेतन यानी मिनिमम वेज व्यवस्था खत्म करने की तैयारी में है। इसके बजाय देश में जीवनयापन वेतन यानी लिविंग वेज की व्यवस्था लागू हो सकती है। लिविंग वेज वह न्यूनतम आय होती है जिससे कोई मजदूर अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा कर सकता है। इसमें आवास, भोजन, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और कपड़ें शामिल हैं।
आईएलओ के गवर्निंग बॉडी की 14 मार्च को जिनेवा में संपन्न हुई 350 वीं बैठक में न्यूनतम वेतन से जुड़े सुधारों को मंजूरी दी गई। भारत में 50 करोड़ से वर्कर हैं और उनमें से 90% असंगठित क्षेत्र में हैं। उन्हें रोजाना कम से कम 176 रुपये या उससे अधिक मजदूरी मिलती है। यह इस बात पर निर्भर करती है कि आप किस राज्य में काम कर रहे हैं। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर न्यूनतम वेतन में 2017 से कोई संशोधन नहीं किया गया है। यह राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं है और इसलिए कुछ राज्यों में इससे भी कम मजदूरी मिल रही है। साल 2019 में पारित वेतन संहिता को अभी लागू किया जाना बाकी है। इसमें एक वेज फ्लोर का प्रस्ताव है जो सभी राज्यों पर बाध्यकारी होगा।