खाजूवाला, सिंचाई पानी की मांग को लेकर क्षेत्र में आन्दोलन की सुगबुगाहट शुरु होने लगी है। शुक्रवार को पूर्व संसदीय सचिव डॉ विश्वनाथ मेघवाल के नेतृत्व में जाट धर्मशाला में बैठक आयोजित हुई। बैठक के बाद भाजपाई कार्यकर्ता व किसान जाट धर्मशाला से नारेबाजी करते हुए उपखण्ड कार्यालय पहुंचे। यहां अधिकारी नही मिलने से किसानो में आक्रोश फैल गया। कार्यालय में उपखण्ड अधिकारी के नही मिलने पर आक्रोश व्यक्त करते हुए, वहीं धरना लगा दिया गया तथा प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाये गये। जिसके बाद तहसीलदार मोके पर पहुंचे और ज्ञापन लिया।
डॉ मेघवाल ने कहा कि क्षेत्र की नहरों में सिंचाई पानी तो दूर पेयजल भी पर्याप्त नहीं छोड़ा जा रहा, ऐसे में भयंकर गर्मी में आमजन तथा पशुधन का बुरा हाल है। आमजन को शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाना हमारी प्राथमिकता है ये कहने वाली सरकार के दावे झूठे साबित हो रहे हैं।
उन्होंने शुक्रवार को जाट धर्मशाला में बैठक के दौरान कहा कि नहरों में पिछले लगभग दो माह से अधिक समय हो जाने के बावजूद भी सिंचाई पानी न छोड़े जाने से क्षेत्र के खेत वीरान पड़े हैं और किसान अपने घरों में बैठे हैं। खेतों में कहीं भी कोई हरियाली न होने के कारण चहुंओर खाली पड़े खेत इस बात की गवाही दे रहे हैं कि सरकार किसानों को पानी देने में फिसड्डी साबित हुई है। पिछले लगभग 68 दिन बाद नहरों में पेयजल छोड़ा गया जो जहरीला पानी था। इस गन्दे और जहरीले पानी से क्षेत्रवासियों में बीमारी बढ़ी हैं और शुद्ध पेयजल को आमजन तरसे हैं। अंतिम छोर पर आमजन को पेयजल भी नसीब नहीं हुआ, ऐसे में बन्द कमरों में बैठ कर दावे करने वाली सरकार की पोल खुली है। इन्दिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र में हजारों-लाखों किसानों के परिवार हैं जो महज पानी पर आधारित जीवन यापन करते हैं लेकिन नहरों में सिंचाई पानी न चलने के कारण क्षेत्र के किसान का बुरा हाल है। पौंग डैम में पानी भराव का समय होता है, तब पानी को पाकिस्तान छोड़ा जाता है और उसका मुआवजा दिया जाता है जबकि इन्दिरा गांधी नहर परियोजना क्षेत्र के लोगों को पेयजल के लिए भी तरसना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार की कथनी और करनी में फर्क है, ऐसे में आमजन और किसानों को सुविधा उपलब्ध करवाने वाली सरकार किसानों को मारने पर तुली है।
मेघवाल ने कहा कि अगर सरकार ने समय रहते नहरों में सिंचाई पानी उपलब्ध नहीं करवाया तो आने वाले दिनों में विधान सभा क्षेत्र खाजूवाला के किसानों को सड़कों पर उतरना पड़ेगा। किसान और आमजन एक राय होकर सड़कों पर उतरेंगे और सिंचाई पानी के लिए आन्दोलन करेंगे। अब किसान के खेत में कुछ भी फसल नहीं है, ऐसे में किसान घर बैठ कर भी क्या करेंगे। ज्ञात रहे पिछले वर्ष इन दिनों किसान के खेतों में नरमा की फसल का बम्पर बिजान था लेकिन सरकार की गलत नीतियों के चलते वर्तमान में किसान की हालत खस्ता है और सरकार हर तरफ से किसानों को बर्बाद करने पर तुली है। मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन उपखण्ड अधिकारी के माध्यम से देने के लिए मेघवाल के नेतृत्व में किसान उपखण्ड कार्यालय पहुंचे तो अधिकारी कार्यालय में नहीं थे, ऐसे में वहीं पर धरना लगा दिया और आक्रोश व्यक्त करते हुए। प्रशासन मुर्दाबाद के नारे लगाये गये। ज्ञापन में लिखा कि 24 जून 2016 को पौंग डैम में 1282.10 फिट पानी था, उस वर्ष 2 जुलाई से तीन में से एक ग्रुप सिंचाई पानी देना शुरू किया वहीं 24 जून 2017 को पौंग डैम का लेवल 1264.04 फिट था, उस वर्ष 5 मई को तीन में से एक ग्रुप सिंचाई पानी देना शुरू किया तथा 24 जून 2018 को पौंग डैम का लेवल 1282.30 फिट था, उस वर्ष 20 जून से तीन में से एक ग्रुप सिंचाई पानी देना शुरू किया था जबकि इस वर्ष 24 जून 2021 को पौंग डैम का लेवल उपरोक्त के सामान ही 1286.13 फिट है, ऐसे में जल वितरण कार्यक्रम शुरू कर किसानों को बर्बादी से बचाया जा सकता है तथा क्षेत्र के किसानों को चार में से दो ग्रुप सिंचाई पानी दिया जावे। कोरोना काल में किसानों के पास आय का कोई स्त्रोत नहीं है और खेतों में बिजान के नाम पर शून्य है। किसानांे तथा आमजन के बिजली के बिल माफ कर राहत प्रदान करनी चाहिए। मुख्यमंत्री के नाम का ज्ञापन तहसीलदार डॉ गिरधारीसिंह को दिया गया।
बैठक में भाजपा मण्डलध्यक्ष जगविन्द्रसिंह सिद्धू, सीसीबी चेयरमैन भागीरथ ज्याणी, ग्राम पंचायत लूणखां पूर्व सरपंच माधोसिंह भाटी, राकेश साहोत्रा, कुन्दनसिंह राठौड़, पंचायत समिति प्रधान प्रतिनिधि धर्मपाल बिरड़ा आदि सैंकड़ों किसान उपस्थित रहे।