यदि एक भी व्यक्ति संक्रमित हुआ तो उल्टा पड़ सकता है प्रशासन का दांव
खाजूवाला, बीकानेर के सीमावर्ती खाजूवाला क्षेत्र में स्थानीय प्रशासन ने गत सोमवार से सप्ताह में 3 दिन ही बाजार खोलने का फैसला लिया। जो कि अब गले की फांस बन गया है। दरअसल इस फैसले की वजह से बाजार खुलने के 3 घंटों के समयांतराल में एकदम से भीड़ उमड़ पड़ती है, जिससे सोशल डिस्टेंसिंग, जो कि लोकडाऊन का मुख्य उद्देश्य था, वो पूरा ही नहीं हो रहा है। गौरतलब है कि स्थानीय प्रशासन को व्यापारियों ने बुधवार को भी हालात से अवगत करवाया था। जिस पर उपखंड अधिकारी संदीप काकड़ ने कहा था कि शुक्रवार को भी यदि हालात नहीं सुधरते हैं, तो वे फैसले पर पुनर्विचार करेंगे। लेकिन शुक्रवार को भी हालात जस के तस ही रहे। इस फैसले से खासतौर पर बैंकों के बाहर भीड़ काफी बढ़ गई है। हर दिन बाजार खुलने से लोग एक साथ नहीं उमड़ते थे। बैंकों के बाहर पुलिसकर्मियों को भी भीड़ नियंत्रित करने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। इस भीड़ में अधिकांशतया बुजर्ग महिलाएं थी, जिन्हें लाठी के जोर से भी नहीं हांका जा सकता। वहीं सब्जी मंडी में भी सोशल डिस्टेंसिंग मजाक बन कर रह गई। हालांकि प्रशासन के अधिकारी गाडिय़ों में बाजार में घूमते रहे, लोगों को जागरुक भी करते रहे। लेकिन फिर भी किसी को आवश्यक वस्तुओं की खरीद करने से रोका नहीं जा सकता। आशंका इस बात की है कि पोकरण कस्बे की तरह यदि खाजूवाला में 1 भी कोरोना संक्रमित व्यक्ति आ गया, तो संक्रमण को फैलने से रोकना स्थानीय प्रशासन के बूते के बाहर हो सकता है।
प्रशासन को समझना होगा भीड़ का मनोविज्ञान
प्रशासन को ‘भीड़ का मनोविज्ञानÓ समझना होगा। जैसे ही ये घोषणा हुई कि बाजार सप्ताह में 3 दिन खुलेगा, लोगों के मन में स्वत: ही एक दहशत सी पैदा हो गई। हर किसी को अगले दिन की जल्दी लग गई। हर दिन खुलने से आम जनमानस थोड़ा रिलेक्स रहता है, कोई सामान बेहद जरूरी ना हो, तो बाहर नहीं निकलता ये सोचकर कि कल ले लेंगे या इतनी भी क्या जल्दी है या बाजार तो खुल ही रहा है वगैरह वगैरह। लेकिन सप्ताह में 3 दिन खुलने से दिमाग पर एक दबाव महसूस होता है। नतीजन बाजार के खुलते ही लोग उमड़ते हैं ये सोचकर की फटाफट अपना सामान लेकर आएं। तो जल्दबाजी और दबाव के चलते भीड़ बढ़ गई हैं।
न्यूज व्यू
चूंकि इस संबंध में जिला कलेक्टर के लिखित आदेश नहीं है, ऐसे में स्थानीय प्रशासन को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि लोकडाऊन का मुख्य उद्देश्य सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना है। यदि रोज बाजार खुलने से भी भीड़ इक_ी नहीं होती है और लोग परेशान नहीं होते हैं, तो रोज बाजार खोलने में भी कोई दिक्कत नहीं है। द. कोरिया जैसे देश ने लॉकडाऊन नहीं किया फिर वो कोरोना को काबू करने में कामयाब रहा है।