खाजूवाला क्षेत्र में पेयजल डिग्गियां हो रहीं जर्जर, आगामी नहरबन्दी को देखते हुए बढ़ रही है चिंता

खाजूवाला क्षेत्र में पेयजल डिग्गियां हो रहीं जर्जर, आगामी नहरबन्दी को देखते हुए बढ़ रही है चिंता

खाजूवाला. पिछले कुछ दिनों से किसान सिंचाई पानी के लिए सरकार से लड़ाई लड़ रहे है। लेकिन इससे भी गम्भीर मुददे् पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। क्षेत्र में पेयजल के लिए हाल ही में 1200 क्यूसेक पानी नहरों में छोड़ा गया। लेकिन मात्र दो-तीन दिन चलने के बाद पानी बन्द हो गया। इसे लेकर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारी प्रयास तो कर रहे हैं, लेकिन जैसे हालात आगामी दिनों में होने वाले है उसको लेकर कोई कार्य नहीं हो रहा है। क्षेत्र में पेयजल डिग्गियां जर्जर पड़ी हैं और ये डिग्गियां पर्याप्त रूप से भरी नहीं जा रही है।

खाजूवाला क्षेत्र में जन अभियांत्रिकी विभाग की 48 स्कीमों के तहत 122 डिग्गियां बनी हुई है। वहीं सभी पंचायतों में सैनेट्री डिग्गियां विभाग द्वारा बनाई गई है। इन सेनेट्री डिग्गियों को 2016 में ग्राम पंचायतों के हवाले कर दिया। लेकिन इन डिग्गियों की जल भण्डारण को लेकर सरपंच व ग्राम विकास अधिकारी की जिम्मेवारी तय की जा रही है। अपितु इनके मरम्मत का कार्य कोई नहीं करता है। मरम्मत के अभाव में क्षेत्र में सैकड़ों डिग्गियां जर्जर अवस्था में है।

हर वर्ष क्षेत्र में नहरबन्दी के समय पेयजल संकट पैदा हो जाता है और लोगों को महंगे दामों पर टयूबैल का खारा पानी पीना पड़ता है। विभाग अगर समय रहते जाग जाता तो इन डिग्गियों में पेयजल भण्डारण किया जा सकता था। हालांकि विभाग के अधिकारी चिंतित तो हैं और डिग्गियों के कार्य व जल भण्डारण का फीडबैक भी ले रहे है। लेकिन धरातल पर कोई कार्य दिखाई नहीं दे रहा है।

खस्ता हालात में हैं सेनेट्री डिग्गियां

खाजूवाला क्षेत्र में 93 सेनेट्री डिग्गियां है। पीएचईडी विभाग द्वारा बनवाया गया था तथा विभाग के अनुसार इन्हें 2016 में ग्राम पंचायतों को सुपुर्द कर दिया। वहीं ग्राम पंचायत के सरपंचों व पंचायतीराज के अधिकारियों से वार्ता करने मालूम हुआ कि इन डिग्गियों के रख-रखाव के लिए अलग से कोई बजट नहीं मिलता है। वहीं इन डिग्गियों में पेयजल भण्डारण का कार्य मात्र ही पंचायत को दिया गया है। ऐसे में ‘दो मामा का भानजा भुखा’ वाली कहावत सही साबित हो रही है। विभाग ने इन्हे ग्राम पंचायतों को सुपुर्द कर अपना पल्ला झाड़ लिया तथा ग्राम पंचायत इसका रख-रखाव नहीं कर पा रही है। ऐसे में ये सेनेट्री डिग्गियां जर-जर अवस्था में पड़ी है। इनमें पानी तो भरना दूर कई स्थानों पर तो इनमें पानी लाने के लिए जो पाइप लाइन है वो तक उखड़ चुकी है। ऐसी स्थिति में इन डिग्गियों में भण्डारण कैसे सम्भव है।

विभाग की डिग्गियां पड़ी हैं खाली

पीएचईडी विभाग की पेयजल डिग्गियों में भी पर्याप्त पानी नहीं है। ग्रामीणों के अनुसार पेयजल पानी के लिए कई बार अधिकारियों को पत्र भेजकर अवगत करवाया गया है। ग्राम पंचायत 3 पावली में 3 डिग्गियां बनी हुई है। यहां के निवासी सुभाष सहारण बताते है कि इन तीन डिग्गियों में से एक ही डिग्गी में पानी डाला जाता है जो की कभी पूरी नहीं भरी। आज नहर में पानी चला तो इन डिग्गियों में पानी भण्डारण का कार्य शुरू हुआ। बाकी दो डिग्गियों में से एक तो पूर्णतय जर्जर है तथा दूसरी डिग्गी का मरम्मत का कार्य विभाग द्वारा अब करवाया जाता है।

इसी के साथ 3 पावली के चक 1 केजेडी में भी डिग्गियों की स्थिति दयनीय है। वहीं ग्राम पंचायत आनन्दगढ़, 22 केवाईडी, 2 कालूवाला सहित कई पंचायतों में सेनेट्री डिग्गियां व विभाग की डिग्गियां खाली पड़ी है तथा जर्जर स्थिति में है। ऐसे में सवाल उठता है कि विभाग नहरबन्दी में लोगों को पेयजल उपलब्ध कैसे करवाएगा।