मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ ने की मांग
खाजूवाला, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राजस्थान प्रदेश संयोजक ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर ई.गा.न.परियोजना के किसानों को पचास प्रतिशत नहरें बारी-बारी से चलाकर पानी देने कि मांग की है।
राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के प्रदेश संयोजक नरेन्द्र आर्य ने पत्र में अवगत करवाया कि ई.गा.न.परियोजना के किसानों को वर्तमान में पीने का पानी उपलब्ध करवाया जा रहा है। पहले नहर के दुरस्तीकरण कि योजना के कारण 70 दिनों के लिए नहर बंदी का प्रावधान किया गया था। इसलिए पहले पैंतीस दिन पीने का पानी देना था। देश में कोरोना वायरस के कारण कठिन दौर आ जाने से लॉकडाउन करना पड़ा एवं नहर दुरस्तीकरण का कार्य भी स्थगित कर दिया गया। क्योंकि दुरस्तीकरण का कार्य नहीं होगा तो बंदी का भी कोई औचित्य नही है। जब से पौंग बांध बना तब से अप्रैल माह के प्रथम सप्ताह में इस वर्ष अधिकतम पानी का लेवल है, बांधों में 21 मई से 20 सितम्बर तक जलसंग्रहण समय होता है एवं 21 सितम्बर से 20 मई तक जलवितरण का समय भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड ने निश्चित किया हुआ है, 20 मई तक पौंग डेम से सिंचाई हैतु 1301 फीट लेवल तक का पानी सिंचाई कार्य हेतु लेने का संबंधित राज्यों की सहमति से नियम बना हुआ है।
इस वर्ष पौंग डेम में अथाह पानी 1359.87 फीट होने के बाद भी पीने के पानी का कार्यक्रम बनाना राजस्थान सरकार एवं बी बी एम बी की संवेदनहीनता का परिचय है। नीचे गत वर्षों में पौंग डेम का तुलनात्मक लेवल हम आपके ध्यान में ला रहे हैं। पौंगबांध का इस वर्ष लेवल 09 अप्रैल 2020 लेवल 414.49 मीटर, (1359.87 फीट ), पौंगबांध का गत वर्षों के लेवल 09 अप्रैल 2019 लेवल 408.86 मीटर (1341.40 फीट) 09 अप्रैल 2018 लेवल 394.16 मीटर (1293.17 फीट), 09 अप्रैल 2017 लेवल 396.92 मीटर (1302.23 फीट), 09 अप्रैल 2016 लेवल 395.86 मीटर (1298.75 फीट), 09 अप्रैल 2015 लेवल 403.73 मीटर (1324.58 फीट) रहा।
गत वर्ष पौंगबांध मे 20 मई को 1334 फीट पानी रख लेने के कारण वर्षा ऋतु में तीन लाख क्युसेक डेज पानी पाकिस्तान को छोडऩा पड़ा था। इसबार तो गतवर्ष से भी बहुत ज्यादा पानी पौंगबांध मे है निश्चित रूप से बड़ी मात्रा में पानी पाकिस्तान छोडऩा पड़ेगा। इं गां न प क्षैत्र के किसानों को 1997 के बाद पहली बार अप्रैल से बीजाई का सुनहरा मौका मिल सकता है। कृपया शीघ्रता से इंदिरा गांधी नहर को चार मे से दो समुहों पानी चलाने का निर्णय संपादित करवा कर संवेदनशीलता का परिचय देंते हुए नहरी किसानों को संकट से उबारें।