29 करोड़, 37 लाख 46 हजार रुपए साइबर ठगों ने हड़पे
R. खबर, ब्यूरो। जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल युग में आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे साइबर ठगी भी अब नित नए रूप बदल कर सामने आ रही है।
नए ट्रेंड में बेरोजगार लोग ही नहीं, बल्कि नौकरीपेशा, व्यापारी आदि ज्यादा शिकार बन रहे हैं। नौकरीपेशा खासतौर से निम्न मध्यम वर्ग के लोग सुख-सुविधाओं के मोह में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में अपनी रही-सही बचत भी गंवा रहे हैं। जबकि बेरोजगार कुछ पाने के लालच में सब-कुछ गंवा रहे हैं। इन दोनों वर्गों का साइबर ठग फायदा उठा रहे हैं।
हैरान करते जिला पुलिस के आंकड़े:-
जिला पुलिस के आंकड़े भी हैरान करने वाले हैं। पिछले डेढ़ साल में जिले में संचालित साइबर थाने में साइबर ठगी के 15 मामले दर्ज हुए हैं, जबकि साइबर पुलिस पोर्टल पर अब तक 7 हजार 629 शिकायतें दर्ज हुई हैं, जिसमें से 974 शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है। करीब साढ़े छह हजार लोगों से साइबर ठगों ने 29 करोड़ 37 लाख 46 हजार रुपए की ठगी की। पुलिस के प्रयास से 2 करोड़ 96 लाख 10 हजार रुपए लोगों को वापस कराए जा सके। साथ ही 4 करोड़ 36 लाख 55 हजार रुपए संबंधित बैंकों से संपर्क कर होल्ड करवा दिए गए।
अलर्ट रहें, क्योंकि… सोशल मीडिया से लेते हैं डिटेल्स:-
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, साइबर ठगी करने वाले आम लोगों के सोशल मीडिया प्रोफाइल को सर्च करते हैं। वहां से उनके काम से जुड़ी सारी जानकारी ले लेते हैं। इसके अलावा वह जॉब सीकिंग वेबसाइट्स पर भी सक्रिय रहते हैं। वहां यह उन लोगों पर नजर रखते हैं, जो लोग नौकरी की तलाश में होते हैं। जिसे भी नौकरी की ऑफर मिलती है, वह बिना सोचे-समझे इनकी बातों में आ जाता है।
डिजिटल अरेस्ट भी तेजी से बढ़ा:-
साइबर थाने के पुलिस निरीक्षक गोविंद व्यास बताते हैं कि डिजिटल अरेस्ट भी तेजी से बढ़ा है। यह साइबर क्राइम का एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठग वीडियो कॉल के जरिए लोगों को उसके घर में ही बंधक बना लेता है। सबसे पहले ठग पुलिस का अधिकारी बनकर वीडियो कॉल करता है।
वह कहता है कि आधार कार्ड, सिम कार्ड, बैंक अकाउंट का उपयोग किसी गैरकानूनी कार्यों के लिए हुआ है। इसके बाद शुरू होता है डराने-धमकाने का खेल। साथ ही, अपराधी वीडियो कॉल से न हटने देता है, न ही किसी को कॉल करने देता है।
साइबर ठगी से बचने के यह सात जरूरी उपाय:-
साइबर थाना प्रभारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मानाराम गर्ग ने साइबर ठगों से बचाव के तरीके बताए हैं, जिन्हें फॉलो कर आमजन ठगी का शिकार होने से बच सकते हैं। उन्होंने ठगी से बचने के सात तरीके बताए हैं।
डिजिटल अरेस्ट में नार्कोटिक्स, आईटी, ईडी आदि जैसी सरकारी एजेंसी और अधिकारी के नाम पर कॉल किया जाता है। इसलिए अगर आपको ऐसी कोई कॉल आती है, तो पहले कॉल करने वाले की पहचान और क्रेडेंशियल्स को वेरिफाई करें।
फर्जी कॉल आने पर किसी भी परिस्थिति में बैंक खाते, पैन कार्ड या आधार कार्ड से जुड़ी जानकारी साझा नहीं करें।
भारतीय कानून में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई चीज फिलहाल नहीं है। ऐसी कॉल आए तो घबराएं नहीं, कॉल को डिस्कनेक्ट कर दें। साथ ही, अपनी फैमिली और दोस्तों को भी इस बारे में अवगत कराएं।
इस तरह की कॉल आने पर 1930 या 112 पर डायल कर भी वेरिफाई कर सकते हैं।
डर का फायदा उठाकर कोई वर्दी पहनकर आ जाए, उस समय भी डरे नहीं, बल्कि 112 पर कॉल करें। पीसीआर (पुलिस) आएगी, तो नकली पुलिस वाला खुद ही भाग जाएगा।
किसी के कहने पर कोई भी ऐप को डाउनलोड न करें या उनके भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें।
कई बार साइबर ठग आपके बेटे या बेटी के नाम उस समय कॉल करते हैं, जब वह कोई परीक्षा दे रहा होता है या किसी कारणवश घर से बाहर है। क्योंकि ठग जानते हैं कि उस दौरान आप उन्हें फोन करके पुष्टि नहीं कर सकते हैं। ऐसे में आपको विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है। ऐसे में आप परीक्षा भवन या बेटे/बेटी के दोस्तों से बात करके चेक कर सकते हैं।
केस-एक
शहर के व्यापारी सुरेश कुमार राठी से साइबर ठगों ने 72 लाख रुपए की ठगी कर ली। व्यापारी ने ठगी का पता चलते ही साइबर पुलिस को सूचित कर दिया। पुलिस के प्रयास से 53 लाख रुपए वापस रिफंड हो गए, लेकिन शेष राशि जाती रही। साइबर ठग आज तक पकड़ में नहीं आ सके।
केस-दो
मणप्पुरम कंपनी बीकानेर ब्रांच में बिना सोना गिरवी रखे 72 लाख रुपए का फर्जी लोग स्वीकृत कर विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर लिए गए, जिसमें से पुलिस ने 70 लाख रुपए रिफंड करवाए और एक आरोपी को गिरफ्तार किया। परिवादी मणप्पुरम फाइनेंस के एरिया मैनेजर विकास कुमार ने शिकायत दर्ज कराई।
साभार-पत्रिका