जयपुर, राजस्थान के भीलवाड़ा में जब पहली बार कोरोना वायरस के पॉजिटिव मामले सामने आए तो ऐसा लगा कि जैसे भीलवाड़ा भारत में कोरोना का एपिकसेंटर बनने जा रहा है। हालांकि, राजस्थान की गहलोत सरकार ने तुरंत एक्शन लिया और पूरे शहर में कर्फ्यू लगाकर बॉर्डर सील कर दिया, जिसके बाद डॉक्टरों की मदद से भीलवाड़ा में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों के आंकड़ों को 27 पर ही रोक दिया गया।
भीलवाड़ा के एक निजी अस्पताल में एक डॉक्टर के कोविड 19 पॉजिटिव पाए जाने के बाद उस अस्पताल के कई स्वास्थ्यकर्मी भी पॉजिटिव पाए गए थे। यह सोचकर ही लोगों में हड़कंप मच गया कि बांगड़ अस्पताल में डॉक्टर से इलाके में ना जाने कितने लोग कोरोना संक्रमित हुए होंगे। इस केस के सामने आते ही राजस्थान का स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन हरकत में आया और देश में सबसे पहले भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू लागू किया गया। सरकार ने ऐसी पहल की कि डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टाफ का मनोबल ऊंचा बनाये रखा जा सके। राजस्थान के 16,000 स्वास्थ्य कर्मियों की टीम भीलवाड़ा शहर में कर्फ्यू के दौरान घर-घर जाकर कोरोना की स्क्रीनिंग का काम करने लगी। देश में पहली बार भीलवाड़ा शहर में कोरोना की स्क्रीनिंग का काम शुरू किया गया। इसकी वजह से भीलवाड़ा में बहुत से लोग कोरोना पॉजिटिव निकलते रहे।
इसके बाद भीलवाड़ा में लॉकडाउन का सख्ती से पालन और घर-घर स्क्रीनिंग की गई. लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करवाने पर जोर दिया गया। भीलवाड़ा में सिर्फ 10 दिन में करीब 18 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की गयी। इलाके में जितने भी सर्दी-जुकाम के मरीज थे, सबको क्वारंटीन किया गया। भीलवाड़ा के सभी फाइव स्टार और थ्री स्टार होटल, रिजॉर्ट और प्राइवेट अस्पताल का सरकार ने अधिग्रहण किया और यहां कोरोना के लक्षण वाले लोगों को क्वारंटीन किया गया। भीलवाड़ा में प्रशासन, पुलिस और मेडिकल स्टाफ के तीन स्तर के प्रयास के साथ वहां की जनता ने भी सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा। इन सब कदमों के चलते भीलवाड़ा में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले आगे नहीं बढ़े और इस पर काफी हद तक नियंत्रण कर लिया गया। भीलवाड़ा में 27 लोगों में से अब सिर्फ 7 लोग कोरोना पॉजिटिव बचे हैं।