जयपुर, राजस्थान में कांग्रेस का मतलब गहलोत है। तीन दशक से गहलोत प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा बने हुए हैं। समर्थकों ने उन्हे “मारवाड़ का गांधी” और “जादूगर” जैसे नाम दिए हैं। प्रदेश की पूर्व मंत्री बीना काक ने चार दिन पहले ही एक शेर सुनाया ”जादूगर तुम अनोखे हो, निराले हो, शिकारी शिकार को बनाने वाले हो।
बीना काक का ये शेर गहलोत पर बिल्कुल सही साबित होता है। गहलोत ने पिछले तीन दशक में कई दिग्गज कांग्रेसियों का राजनीतिक रूप से शिकार किया। ये वे दिग्गज थे, जिनकी कभी तूती बोलती थी। गहलोत ने धीरे-धीरे सभी दिग्गज नेताओं को राजनीतिक रूप से कमजोर कर पार्टी पर मजबूत पकड़ बना ली। प्रदेश में एक दौर ऐसा आया कि गहलोत के अलावा कांग्रेस का कोई बड़ा नेता नहीं बचा। साढ़े छह साल पहले सचिन पायलट प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनकर आए तो गहलोत ने उन्हे अधिक गंभीर नहीं लिया। लेकिन जैसे-जैसे पायलट अपने समर्थकों की टीम तैयार करने लगे तो गहलोत खेमे ने उनके खिलाफ मुहिम शुरू कर दी।
2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे को लेकर गहलोत व पायलट में जमकर विवाद हुआ । दोनों के बीच आधी-आधी टिकटों का बंटवारा हुआ । चुनाव परिणाम आने के बाद जब सीएम बनने का मौका आया तो गहलोत ने अपने राजनीतिक कौशल के चलते पायलट को मात दे दी । तभी से दोनों के बीच खींचतान बढ़ गई और उसी का परिणाम है कि अब पायलट ने बगावत कर दी ।