बीकानेर, बीकानेर केन्द्रीय कारागार में एलईडी टीवी में मोबाइल ले जाने के मिलीभगत। दो दिन पहले जेल में जेल प्रहरी एक एलईडी ले जाते हुए पकड़ा गया था। आरएसी के जवानों ने तलाशी के दौरान एलईडी से मोबाइल बरामद किए थे। जेल प्रशासन दो दिन से मामले को दबाए बैठा था, लेकिन आरएसी के जवानों ने उच्चाधिकारियों को शिकायत की तो वे जेल महानिदेशक के ध्यान में प्रकरण लाए। इस पर जेल डीजी ने बीकानेर केन्द्रीय कारागार अधीक्षक परमजीतसिंह सिद्धू को जेल प्रहरी को निलंबित कर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।
मामले के अनुसार सोमवार दोपहर करीब ढाई बजे जेल प्रहरी मनोहरलाल एक एलईडी टीवी लेकर पहुंचा था। वह एलईडी को जेल में ले जाने लगा, तभी वहां तैनात आरएसी के जवानों ने एलईडी की तलाशी ली। तलाशी में करीब 30 मोबाइल, दो डोंगल, तीन ईयर फोन, तीन मोबाइल चार्जर, जर्दे की 12 पुडिय़ा बरामद हुई। बाद में जेल प्रशासन मामले को दबाने में जुट गया। इसके चलते न कोई कार्रवाई की और ना ही थाने में मामला दर्ज कराया। पूरे मामले में जेलर की भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है।
मामले के अनुसार जेल प्रहरी मनोहरलाल को एक जेलर ने जेल परिसर के बाहर दुकान से एलईडी लाने के लिए भेजा। जेल प्रहरी, जेलर की बाइक से एलईडी लेकर दोपहर सवा दो बजे पहुंचा। प्रवेशद्वार के बाहर दो आरएसी जवानों ने पूछताछ की इसे मरम्मत कर लाना बताया गया। आरएसी जवानों ने जांच की एलईडी के स्क्रू पर फेवीक्विक लगी हुई थी, इससे जवानों को संदेहा हुआ। उन्होंने एलईडी के पीछे लगी जाली से अंदर देखा तो उसमें ईयरफोन नजर आ गया। आरएसी जवानों ने जेल अधीक्षक परमजीतसिंह को सूचना दी। जेल अधीक्षक पांच बजे तक भी जांच करने नहीं पहुंचे। इस पर जवानों ने एलईडी को खोलने की कोशिश की तभी एलईडी का एक कोना टूट गया और उसमें मोबाइल व चार्जर दिखाई दिए। बाद में जवान एलईडी को तोडऩे लगे, तभी जेल अधीक्षक सिद्धू आए और जेल कार्मिकों से एलईडी को सीसीटीवी कैमरे से दूर ले जाकर खोलने की हिदायत दी।
एलईडी में से मोबाइल, ईयरफोन, चार्जर व जर्दे की पुडिय़ा मिलने के बाद एक जेलर का नाम सामने आने पर इस मामले को दबाने की कोशिश की गई। जेल प्रशासन ने एलईडी व मोबाइल को जला दिया। पूरे घटनाक्रम की शिकायत आरएसी जवान ने अपने उच्चाधिकारियों को की। उच्चाधिकारी ने आरएसी मुख्यालय और वहां से जेल महानिदेशक के ध्यान में प्रकरण लाया गया। इसके बाद जेल मुख्यालय के निर्देश पर कार्रवाई की गई।
जेल में मोबाइल मिलना और मामले को दबाने का मामला गंभीर है। इस मामले में जेल प्रहरी को निलंबित किया गया है। मामले की जांच जोधपुर जेल अधीक्षक कैलाश त्रिवेदी को सौंपी गई है। जांच में दोषी पाए जाने वाले अन्य कार्मिकों के खिलाफ भी कार्रवाई जारी है।