6-8 महीने में फिर हो सकता है कैबिनेट फेरबदल


rkhabar rkhabar

गहलोत ने दिया संकेत: बोले- 19 MLA जाने से सरकार संकट में थी, बचाने वाले साथियों को शिकायत नहीं होगी।

जयपुर, महंगाई के खिलाफ होने वाली कांग्रेस की रैली की तैयारियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में बुलाई गई बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट कैंप के विधायकों पर तंज कसा। गहलोत ने पिछले साल पायलट कैंप की बगावत को याद करते हुए मंत्री नहीं बन पाने वाले विधायकों को आगे किसी भी तरह की शिकायत नहीं आने देने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि हाईकमान का इशारा हुआ तो छह से आठ महीने में फिर मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।

विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक में गहलोत ने बिना नाम लिए कहा, ’19 लोग छोड़कर चले गए थे तो उस वक्त सरकार संकट में आ गई थी। हमारे निर्दलीय साथियों, बसपा से कांग्रेस में आने वाले सा​​थियों ने अगर साथ नहीं दिया होता तो सरकार नहीं बचती। इन साथियों का सरकार बचाने में दिए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। सरकार बचाने वाले कई लोगों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है, लेकिन उन्हें आगे शिकायत नहीं रहेगी।’ गहलोत ने अपने पक्ष के विधायकों को भी आगे मंत्रिमंडल और राजनीतिक नियुक्तियों में जगह देने का आश्वासन दिया। गहलोत ने सरकार बचाने वाले विधायकों से कहा- ‘आगे जैसे ही हाईकमान का इशारा होगा, उन्हें एडजस्ट किया जाएगा। फिर मंत्रिमंडल में फेरबदल हो सकता है।

‘गहलोत ने चेताया, मंत्रियों की रिपोर्ट खराब हुई तो हाईकमान एक्शन ले सकता है।

गहलोत ने मंत्रियों को भी चेताया। सीएम ने मंत्रियों से कहा कि जो मंत्री बन गए हैं, वे भी सही तरह से काम करें। अगर मं​त्रियों की रिपोर्ट खराब हुई तो आलाकमान एक्शन ले सकता है।

गहलोत के बयान के सियासी मायने :-

मंत्रिमंडल फेरबदल में सचिन पायलट समर्थकों को भले ही जगह दे दी हो, लेकिन गहलोत के बयान से यह साफ हो गया है कि अभी खींचतान बरकरार है। गहलोत ने अपने समर्थक विधायकों को अब भी आगे एडजस्ट करने का भरोसा दिलाया है। बगावत के समय साथ खड़े होने वाले विधायकों को गहलोत ने साफ तौर से मैसेज दिया कि वे उन्हें भूले नहीं हैं। मौका आने पर उन्हें एडजस्ट किया जाएगा। आज के बयान से यह साफ हो गया कि कांग्रेस में पायलट और गहलोत खेमों के बीच अंदरूनी खींचतान कम भले हो सकती है, लेकिन खत्म नहीं हो सकती। इससे यह भी साफ हो गया कि मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद दिख रही शांति स्थायी नहीं है।