जयपुर। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री डाॅ. बी. डी. कल्ला ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि जल जीवन मिशन में केन्द्र एवं राज्य सरकार की हिस्सेदारी 50-50 प्रतिशत है, जिसमें केन्द्र की भागीदारी बढ़ाने की आवश्यकता है जिससे इस योजना को पूरा करने के लिए राज्य पर वित्तीय भार में कमी आ सके। डॉ. कल्ला प्रश्नकाल में इस संबंध में विधायकों द्वारा पूछे गये पूरक प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्हाेंने कहा कि राज्य हितों के मामलों में पक्ष तथा विपक्ष को आपसी प्रतिस्पर्धा छोड़कर राज्य हित को प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन की क्रियान्विति के लिए 50 प्रतिशत केन्द्र एवं 50 प्रतिशत राज्य की हिस्सेदारी तय की गई है, केन्द्र सरकार को इस मापदंड को बदल कर केन्द्र की भागीदारी बढ़ानी चाहिए, जिससे राज्य पर वित्तीय भार में कमी आ सके। इसके लिए राज्य सरकार के साथ विपक्ष को भी केन्द्र सरकार से आग्रह करना चाहिए।उन्होंने कहा कि राज्य में देश की कुल जनसंख्या के अनुपात में मात्र 1.01 प्रतिशत सतही जल है। सतही जल में बढ़ोतरी के लिए हाल ही में जयपुर में केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री से वार्ता की गई थी। उन्होंने कहा कि अगर राज्य में सतही जल को बढ़ाया नहीं गया तो डार्क जोन बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा कि नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं के तहत यदि बीसलपुर को ब्राहमणी नदी से जोड़ा जाएगा तो टोंक, सवाई माधोपुर, ब्यावर, अजमेर, जयपुर तथा नागौर तक पानी पहुंचेगा तथा बीसलपुर में भी पानी की कमी नहीं आयेगी। इसी तरह यमुना के बाढ़ के पानी को भी शेखावटी क्षेत्र में लाने से पानी की समस्या हल हो सकेगी। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी मंत्री ने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना तथा राजीव गांधी परियोजना के माध्यम से भी विभिन्न जिलों में सतही जल में वृद्धि का प्रयास किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि इंदिरा गांधी नहर परियोजना का मुख्य उद्देश्य सिंचाई के साथ पेयजल उपलब्ध करवाना था लेकिन अकाल के कारण पीने के पानी को प्राथमिकता दी गई। उन्होंने कहा कि राज्य में किसान बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाएंगे तो पानी की बचत होगी।इससे पहले विधायक श्री गुलाब चन्द कटारिया के मूल प्रश्न के जवाब में डॉ. कल्ला ने बताया कि केन्द्र सरकार के जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2024 तक ग्रामीण क्षेत्र में हर घर को घरेलू जल संबंध द्वारा स्वच्छ पेयजल आपूर्ति सुनिश्चित करने का लक्ष्य निर्धारित है ।उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तरीय स्कीम सैंक्शनिंग कमेटी (एस.एल.एस.सी.सी.) की 26 दिसम्बर 2019 को आयोजित 19वीं बैठक में कई प्रस्तावों की स्वीकृति जारी की गई है, जिनमें 10 पूर्ण/प्रगतिरत वृहद् पेयजल परियोजनाओं हेतु राशि रुपये 4550.93 करोड़ की संशोधित स्वीकृति, 03 नवीन वृहद् पेयजल परियोजनाओं हेतु राशि रुपये 4391.70 करोड़ की स्वीकृति, प्रस्तावित 11 वृहद् पेयजल परियोजनाओं की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डी.पी.आर.) तैयार करने के कार्य के लिए राशि रुपये 16.68 करोड़ की स्वीकृति तथा वृहद् पेयजल परियोजनाओं के अतिरिक्त 139 एकल/क्षेत्रीय ग्रामीण जल योजनाएं, 1414 सोलर डी.एफ.यू. एवं 772 आर.ओ.संयंत्र आधारित योजनाओं के लिए राशि रुपये 1135.49 करोड़ की स्वीकृति शामिल है।डॉ. कल्ला ने बताया कि समस्त स्वीकृतियों के अंतर्गत प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के 8.6 लाख घरों को घरेलू जल संबंधों के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है । जल जीवन मिशन कार्यक्रम के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक घर को घरेलू जल संबंध के माध्यम से स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु प्राथमिक आंकलन के अनुसार अनुमानित राशि रुपये 125-150 हजार करोड़ की आवश्यकता रहेगी। उन्होंने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली वित्तीय सहायता एवं राज्य सरकार के वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता के आधार पर उक्त कार्यक्रम की समयबद्ध एवं पूर्ण क्रियान्विति संभव हो सकेगी ।