कोरोना पॉजिटव के आने से बीकानेर को ग्रीन जोन में लाने के प्रयासों को धक्का लगा


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बीकानेर, पीबीएम अस्पताल की संविदाकर्मी स्वीपर को कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट होने के बाद बीकानेर में एक बार फिर चिन्ता के बादल उमड़ आये हैं। बीती रात को आई कोरोना की रिपोर्ट में पीबीएम अस्पताल की एक महिला सफाई कर्मचारी की रिपोर्ट कोरोना आई। जिसके बाद पीबीएम अस्पताल में हड़कंप सा मच गया। ऐहतियात के तौर पर रातों-रात पीबीएम प्रशासन ने इस कोरोना पॉजिटिव महिला के संपर्क में आए 20 से 22 कर्मचारियों को होम क्वारैंटाइन कर दिया। सीएमएचओ डॉ. बी.एल.मीणा से मिली जानकारी के अनुसार पीबीएम अस्पताल की संविदा सफाई कर्मचारी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आने के बाद तुरंत महिला के 25 परिजनों को माहेश्वरी धर्मशाला में आइसोलेट कर दिया। जिनकी कोरोना जांच के लिए सैम्पल लिये गए है। बता दें कि कोरोना पॉजिटिव महिला पीबीएम अस्पताल में भर्ती थी तो इस दौरान कई परिजन महिला से मिलने के लिए आये थे, उन सभी परिजनों को चिन्हित करते हुए रातों-रात आइसोलेट किया गया। कोरोना पॉजिटिव पाई गई महिला का घर सागर रोड़ स्थित देव नगर में है, जो कि पीबीएम अस्पताल में संविदा पर सफाई कर्मचारी के रूप में कार्यरत्त थी। ज्ञात रहे कि बीती रात को सामने आई कोरोना पॉजिटिव महिला सहित बीकानेर में अब 38 कोरोना पॉजिटिव केस हो चुके है। जिनमें 36 मरीज निगेटिव हो गए व एक महिला की मौत हो चुकी है।

जयपुर रोड के देवनगर में जहां यह महिला रह रही हैं, वह बिल्कुल नया इलाका है, देर रात ही इस क्षेत्र से लोगों को स्वास्थ्य विभाग की टीम ले आई है, अब फिर नए सिरे से बीकानेर को कोरोना मुक्त करने की वही कवायद शुरू करनी होगी।
यहां यह बड़ा सवाल है कि जिस पीबीएम अस्पताल में इतना बेहतर इलाज हो रहा है, वहां इतनी बड़ी चूक क्यों हो रही है। वह भी लगातार दूसरी बार। लोहारान क्षेत्र की पहली महिला के संबंध में भी ऐसा ही हुआ था। उसकी मृत्यु के बाद हड़कम्प मचा और नागौर की गर्भवती के मामले में भी वही लापरवाही देखने को मिली नागौर और वह भी नागौर के बासनी गांव से आये मरीज को आते ही संदेह के आधार पर दूसरे मरीजों से अलग क्यों नहीं रखा गया?
बीती रात जो महिला संक्रमित मिली है, वह नागौर की महिला के संपर्क में आने के बाद से ही कोरोना के प्रारंभिक लक्षणों से ग्रसित थी, लेकिन उसकी तरफ किसी का ध्यान ही नहीं गया, यही बड़ी चूक रही।
कायदे से अगर कोई भी व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आता है तो उसे जांच के दायरे में लिया जाता है। सारे देश मे ऐसा हो रहा है, लेकिन पीबीएम अस्पताल यह करना क्यों भूल गया। अगर इस महिला की नागौर की पॉजिटिव महिला के आसपास भी ड्यटी थी तो उसे क्वारंटाइन क्यों नहीं किया गया, जैसे बहुत सारे दूसरे स्टाफ को किया गया है। क्या इस महिला के प्रति किसी की जिम्मेदारी नहीं थी। किसी की संवेदना नहीं थी। क्या सिर्फ इस वजह से कि ये संविदाकर्मी थी, अपने हाल पर छोड़ दिया गया?
जब कुछ लोगों को क्वारंटाइन किया गया, तो यह महिला कैसे छूट गई, जो संक्रमित मिली है। इस तरह के सवाल इस बात का संकेत कर रहे हैं कि कोरोना को लेकर पीबीएम अस्पताल में कहीं कोई बड़ी चूक है या लापरवाही है, जिस वजह से बार-बार यहां एक ही तरह की गलती दोहराई जा रही है। अगर ऐसा ही होता रहा तो डॉक्टर्स, स्टाफ और मरीज के लिए खतरा बढ़ जाएगा।

इस पॉजिटव के आने से बीकानेर को ग्रीन जोन में लाने के प्रयासों को धक्का लगा है। अभी बीकानेर ऑरेंज जोन में है और इसके ग्रीन जोन में आने की संभावना थी। इस बीच एक नए केस ने न सिर्फ नया फोकस एरिया खोल दिया है बल्कि चिंता भी बढ़ा दी है।
बता दें,लॉयन एक्सप्रेस ने नागौर से आई गर्भवती महिला के प्रति पीबीएम अस्पताल की लापरवाही को लेकर पहले भी सवाल खड़े किए थे। इस महिला के पॉजिटव रिपोर्ट होने के बाद काफी स्टाफ को क्वारण्टाइन किया गया था, जिसमे एक यह महिला स्वीपर भी थी।