बीकानेर: 1546 हेक्टेयर जमीन के फर्जी आवंटन की जांच करेगी एसीबी
बीकानेर। छत्तरगढ़ में तत्कालीन अधिकारी-कर्मचारियों की मिलीभगत से 1546 हेक्टेयर जमीन का फर्जी आवंटन कर सरकार को डीएलसी दरों से 25 करोड़ का नुकसान पहुंचाने के मामले की जांच एसीबी करेगी। मुख्यालय ने 18 कार्मिकों व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। पिछली कांग्रेस सरकार के समय छत्तरगढ़ में बड़े स्तर पर जमीनों का फर्जी तरीके से आवंटन किया गया। सत्ता बदली और भाजपा सरकार आई तो जिला प्रशासन ने प्रशिक्षु आईएएस यक्ष चौधरी से जांच करवाई जिसमें सामने आया कि छत्तरगढ़ में कार्मिकों ने पद के दुरुपयोग और मिलीभगत से 1546 हेक्टेयर जमीन का 101 लाभार्थियों को फर्जी आवंटन किया जिससे सरकार को डीएलसी दरों से 25 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। जिला कलेक्टर ने जमीन के फर्जीवाड़े की रिपोर्ट आरोपी कार्मिकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सहमति जताते हुए राजस्व विभाग को भेजी थी। राजस्व विभाग के आदेश पर एसीबी ने तत्कालीन 18 कार्मिकों व अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। बीकानेर एसीबी चौकी के एएसपी महावीरप्रसाद शर्मा की रिपोर्ट पर दर्ज मुकदमे की जांच स्पेशल यूनिट के एएसपी आशीष कुमार को सौंपी गई है। गौरतलब है कि पुलिस थानों में दर्ज जमीनों के फर्जी आवंटन के तीन मुकदमों की जांच अलग से की जा रही है।
पूगल में फर्जी आवंटन का केस दर्ज होना बाकी
छत्तरगढ़ के अलावा पूगल में भी 508.68 हेक्टेयर जमीन का फर्जी आवंटन किया गया था। राजस्व विभाग ने उसका भी अलग से मुकदमा दर्ज करने के लिए कहा है। पूगल में जमीनों के फर्जी आवंटन में दो आरएएस मनोज खेमदा और सीता शर्मा सहित 16 आरोपी नामजद बताए जा रहे हैं। इसके अलावा जमीनों के फर्जी आवंटन के 31 लाभार्थी हैं। इसमें डीएलसी दरों से करीब 8 करोड़ रुपए का सरकार को नुकसान माना गया है। एसीबी पूगल में फर्जी आवंटन की अलग से मुकदमा दर्ज कर जांच करेगी। पूगल के करणीसर भाटियान, बांद्रेवाला, बरजू, दीनसर में जमीनों का फर्जी आवंटन हुआ। राजस्व विभाग की ओर से जुलाई, 24 में मुकदमा दर्ज करने के निर्देश के बाद एसीबी की बीकानेर चौकी ने आरोपी कार्मिकों का सेवा रिकॉर्ड जुटाना शुरू कर दिया था। कार्मिकों और लाभार्थियों की पूरी जानकारी जुटाने के बाद जयपुर में एसीबी मुख्यालय को मुकदमा दर्ज करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई। मुख्यालय से मामले में अनेक जानकारियां मांगी गई जिससे मुकदमा दर्ज होने में देरी होती गई। करीब आठ माह बाद 6 मार्च को एसीबी मुख्यालय ने मुकदमा दर्ज कर लिया।