-अध्यापक की हठधर्मिता के चलते गर्भवती महिलाओं को परेशानी
-बीकानेर जिले में रहने की सजा किसानों को क्यों

खाजूवाला, कोरोना वायरस के चलते नाकाबंदी के दौरान दो जिलों में विवाद इस कदर बढ़ता जा रहा है कि सबसे ज्यादा परेशानी किसानों को हो रही हैं। वहीं नाकाबंदी पर बैठे लोग किसी की बात को नहीं समझ रहे हैं तथा बीकानेर जिले से आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को शंक की निगाहों से देखते हैं तथा तुरंत वापिस रवाना कर देते हैंं।
सरकार द्वारा पुलिस के अलावा जगह-जगह नाकाबंदी अध्यापकों से करवाई जा रही है जो किसानों और आमजन के लिए सबसे ज्यादा परेशानी का कारण बनी हुई है। बीकानेर और श्रीगंगानगर दो जिलों की सीमाओं पर आये दिन विवाद होने के कारण पुलिस और प्रशासन को समस्या सुलझाने के लिए मौके पर जाना पड़ता है। पिछले दो दिनों से इसी बात को लेकर पुलिस और प्रशासन तथा आमजन नाकाबंदी के दौरान होने वाली समस्याओं के समाधान का प्रयास कर रहे हैं लेकिन समस्या का कोई पुख्ता समाधान नहीं हो रहा। सोमवार को प्रशासन और पुलिस के अधिकारी ६ बीडी के पास श्रीगंगानगर और बीकानेर जिले की सीमा पर विवाद को सुलझाने गये और मंगलवार को ३६५ हैड मण्डी के पास चक २-४ केएलडी पर बने नाकाबंदी का निरीक्षण करने थानाधिकारी विक्रम सिंह चौहान मौके पर मय जाप्ता पहुंचे और समझाईश करते हुए कहा कि ग्रामीणों की बार-बार शिकायत आ रही है कि बीकानेर जिले के किसानों के खेत श्रीगंगानगर जिले में है और उन्हें खेती करने के लिए जाने दिया जाये। खाजूवाला क्षेत्र से आने वाली गर्भवती महिलाओं को भी वापिस भेजा जा रहा है, जो मानवता के साथ सरासर अन्याय है, इसको कवरेज करने के लिए मीडियाकर्मी मौके पर थे तो उनके साथ अध्यापक संदीप कुमार ने अभद्र व्यवहार करते हुए मोबाईल के कैमरे तोडऩे का प्रयास किया और हाथापाई करने पर उतारू हो गया जबकि देश का प्रधानमंत्री और राज्य के मुख्यमंत्री चौथे स्तम्भ मीडिया के कार्यों की सराहना कर रहे हैं। कोरोना जैसी भयंकर बीमारी से लडऩे के लिए डॉक्टर और पुलिस काम कर रही है वहीं मीडिया भी अपनी जान को जोखिम में डालकर कवरेज कर रहे हैं।
बीकानेर जिले के उपखण्ड खाजूवाला के चक ३ केएलडी, ५ केएलडी, ६ केएलडी ए, ६ केएलडीबी, ४ केवाईडी, २ केवाईडी किसानों ने अपनी पीड़ा को पुलिस-प्रशासन और मीडिया के समक्ष रखा। ग्राम पंचायत कुण्डल के पूर्व सरपंच प्रतिनिधि कृष्णलाल, गुरबचनसिंह, हिम्मत, जसवंतसिंह, सीताराम, मोहनलाल, करणाराम, कुलदीपसिंह, बलदेवसिंह, धर्मपाल, गुरदेवसिंह, राजविन्द्रसिंह, सुनील कुमार, सीताराम, हरदीपसिंह आदि किसानों ने हस्ताक्षर युक्त ज्ञापन जिला कलक्टर को भेज कर अवगत करवाया कि हमारी जमीन बीकानेर जिले में पड़ती है जबकि हमारा समस्त लेन-देन जैसे बैंक के कार्य, खाद्य सामग्री, सब्जी तथा दवाईयां लेने के लिए ३६५ हैण्ड मण्डी ही जाना पड़ता है। हमारे चक २-४ केएलडी पर नाकाबंदी के दौरान अध्यापक संदीप कुमार द्वारा नहीं जाने दिया जाता और कहा जाता है कि हमें उच्चाधिकारियों को निल रिपोर्ट भेजनी है इसलिए हम किसी को नहीं जाने देंगे चाहे कुछ भी हो जाये। पीडि़त किसानों का कहना था कि हमें बीकानेर जिले में रहने की सजा दी जा रही है जबकि हम ३६५ हैड मण्डी जायें तो मात्र २ किमी है और खाजूवाला जाते हैं तो लगभग ३० किमी का सफर तय करना पड़ता है जो काफी महंगा तथा खर्चीला साबित होता है। किसान को फसल काटने के लिए अपनी दांती या कृषि उपकरण को सही करवाने के लिए ३६५ हैड मण्डी नहीं जाने देते वहीं मानवता का बिल्कुल भी ध्यान नहीं रखते हुए गर्भवती महिलाओं को भी वापिस भेजा जा रहा है जबकि कोरोना जैसी भयंकर बीमारी के चलते आपातकालीन सेवाओं में छूट राज्य सरकार और केन्द्र सरकार द्वारा दी जा रही है। अध्यापक संदीप कुमार किसी के आदेश की प्रवाह किये बिना ग्रामीणों को सरेआम कहता है कि मैं किसी के आदेश नहीं मानूंगा तथा इस नाके से किसी को भी नहीं जाने दूगा। सोशल डिस्टेसिंग की पालना भी नहीं की जा रही तथा बिना मास्क लगाये डयूटी पर कार्यरत्त अध्यापक संदीप कुमार के रवैया से हर वर्ग परेशान है।

कोरोना वायरस के चलते बीकानेर और श्रीगंगानगर जिले की सीमाओं पर इस कदर माहौल देखने को मिल रहा है जो देश की अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर भी शायद नहीं होगा। जिला कलक्टर बीकानेर तथा जिला कलक्टर श्रीगंगानगर से ग्रामीणों ने आग्रह किया है कि दो जिलों की नाकाबंदी पर ऐसी विकट समस्या को समाप्त करते हुए नाकाबंदी पर लगाये गये अध्यापक के खिलाफ सख्त करवाई की जाये और किसानों को राहत प्रदान की जाए।