नई दिल्ली, देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को हराने के डॉक्टर-नर्सिंग स्टाफ, पुलिस, मीडिया से लेके सफाईकर्मी तक हरेक के काम की चर्चा हो रही है। जो अपनी जान जोखिम में डालकर आम जनता के लिए सड़क पर निकलते हैं। ऐसी ही कोरोना वॉरियर IAS सृजना के कदम की हर तरफ चर्चा हो रही है। सृजना ने कोरोना संक्रमण के दौरान अपनी मैटरनिटी लीव छोड़कर 22 दिन की बच्ची को लेकर नौकरी ज्वाइन की थी।
सृजना गुम्माला आंध्रप्रदेश कैडर की 2013 बैच की आईएएस अफसर हैं। उन्होंने आइएएस बनने से पहले सृजना ने अक्टूबर 2008 से सितंबर 2009 तक डॉ रेड्डी फाउंडेशन के साथ काम किया।
सृजना मूलरूप से हैदराबाद की रहने वाली हैं। उन्होंने ओस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से मनोविज्ञान विषय में साल 2002 से 2005 के बीच बीए की डिग्री ली।
वर्तमान में ग्रेटर विशाखापटनम म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन में कमिश्नर पद पर तैनात सृजना ने 22 दिन पहले ही बच्चे को जन्म दिया था। जिसके बाद से वो मेटरनिटी लीव पर थी। जब लॉकडाउन घोषित किया गया तो उनकी सेवाओं की जरूरत थी तो वो ड्यूटी पर आ गईं। उन्होंने कहा कि अपना काम और अपने बच्चे की देखभाल पति और सास के सपोर्ट से अच्छे से कर रही हैं।
उनके पति रवितेजा पादिरी पेशे से वकील हैं। पहले दिन वो बच्चे को लेकर पहुंची, बाद में वो बेटे को घर पर ही छोड़कर ऑफिस आने लगीं। बच्चा मां के दूध पर निर्भर है तो इसलिए वो हर चार घंटे में घर जाकर उसे दूध पिला आती हैं।
सृजना म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन की कमिश्नर हैं। ऐसे दौर में निगम का काम और ज्यादा बढ़ गया है। विभाग में उनकी ही तरह कई अफसर दिन रात सेवा में जुटे हैं। ऐसे में उन्होंने वापस लौटकर एक नजीर पेश की है।