R.खबर ब्यूरो। झुंझुनूं जिले के सरकारी अस्पताल में डॉक्टरों ने बड़ी लापरवाही दिखाते हुए एक जिंदा व्यक्ति का पोस्टमार्टम कर उसे मृत घोषित कर दिया और उसे डीप फ्रीजर में रखवा दिया। चिता पर सांसें चलने के बाद मामले का खुलासा हुआ।
चिकित्सकों ने जिसे मृत घोषित कर दिया था, उसका अब उसी अस्पताल के आईसीयू में इलाज चल रहा है, फिलहाल उसकी हालत सामान्य है। कलेक्टर ने पूरे मामले की जांच के लिए समिति गठित की है और जिला कलेक्टर रामावतार मीणा की अनुशंसा पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव निशा मीणा ने बीडीके के पीएमओ डॉ. संदीप पचार, डॉ. योगेश कुमार जाखड़ व डॉ. नवनीत मील को निलंबित कर दिया। निलंबन काल के दौरान डॉ. पचार का मुख्यालय जैसलमेर, डॉ. जाखड़ का बाड़मेर और डॉ. नवनीत मील का मुख्यालय सीएमएचओ ऑफिस जालौर किया गया है।
झुंझुनू में मां सेवा संस्थान के आश्रय गृह में रहने वाले विमंदित रोहिताश की गुरुवार को तबीयत बिगड़ने के बाद बीडीके अस्पताल में उसका इलाज शुरू किया गया। दोपहर करीब डेढ़ बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया और अस्पताल की मोर्चरी के डीप फ्रीज में रखवा दिया। दो घंटे बाद पोस्टमार्टम करके पंचनामा भी बना लिया गया और रोहिताश के तथाकथित शव को संस्थान को सौंप दिया।
संस्था के लोगों ने श्मशान में जब रोहिताश को चिता पर लिटाया तो उसकी सांसें चलने लगीं। उसके शरीर में हरकत देखकर वहां मौजूद लोग हैरान हो गए। इसके बाद उसे तुरंत एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया। अब उसका बीडीके अस्पताल में इलाज चल रहा है और हालत सामान्य बताई जा रही है। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट पर इसे लापरवाही मानते हुए पीएमओ सहित तीन चिकित्सकों को सस्पेंड कर दिया गया है।
इस सारे घटनाक्रम के बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि पोस्टमार्टम के नाम पर किस तरीके से महज औपचारिकता पूरी की जाती है, इसकी भी पोल अब खुल गई है।