राजस्थान के इन जिलों की बदलेगी सीमा! कई पंचायतें होंगी नगर निगम में शामिल
राजधानी जयपुर में एक नगर निगम की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए विधायकों और विधानसभा चुनाव लड़ चुके प्रत्याशियों से रायशुमारी की जा रही है। अब तक जो चर्चा हुई है, उसमें वार्डों के पुनर्सीमांकन और नगर निगम का दायरा बढ़ाने पर सहमति बनी है। ज्यादातर जनप्रतिनिधि चाहते हैं कि निगम सीमा क्षेत्र का दायरा बढ़ाया जाए। माना जा रहा है कि 150 से 160 वार्ड जयपुर नगर निगम में होंगे। उन क्षेत्रों को निगम सीमा क्षेत्र में लिया जाएगा, जहां आबादी बस चुकी है और विकास कार्य तेजी से चल रहे हैं।
माना जा रहा है कि राज्य सरकार जयपुर सहित जोधपुर और कोटा में भी एक-एक निगम बनाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके संकेत स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा भी दे चुके हैं। दरअसल, तीनों शहरों में एक-एक निगम करने का भाजपा का चुनावी वादा भी था और दो नगर निगम होने से भाजपा को राजनीतिक नुकसान भी हुआ है। तीनों शहरों में अगले वर्ष के अंत में जाकर बोर्ड का कार्यकाल पूरा होगा।
हर बार वार्ड बढ़े, निगम का दायरा वहीं
-वर्ष 1994 से लेकर आज तक नगर निगम का सीमा क्षेत्र नहीं बढ़ा है। हालांकि, समय-समय पर परिसीमन और पार्षदों की संख्या बढ़ती रही है। नगर निगम की सीमा का विस्तार नहीं हुआ। जनप्रतिनिधि अपने फायदे के हिसाब से वार्डों का सीमांकन जरूर करवाते रहे।
-वर्ष 1994 में जयपुर नगर निगम का सफर 70 पार्षदों से शुरू हुआ था। पिछले बोर्ड में यह संख्या 91 थी। दो निगम होने से पहले हुए परिसीमन में वार्डों की संख्या 150 कर दी थी, लेकिन बाद में दो नगर निगम हो गए और शहर में वार्डों की संख्या 250 हो गई।
कई पंचायतें जोड़े जाने की कवायद
झोटवाड़ा और आमेर विधानसभा क्षेत्र का बड़ा हिस्सा निगम सीमा क्षेत्र से बाहर है। जबकि, शहर इन विस क्षेत्रों की पंचायतों तक को छू चुका है। ऐसे में वहां पर निगम न तो स्ट्रीट लाइटें लगाता है और न ही सफाई की व्यवस्था करता है। निगम को वहां से कोई राजस्व भी नहीं मिलता है। यही स्थिति आदर्श नगर और बगरू विधानसभा क्षेत्र की भी है।