खाजूवाला, मानव तन परमात्मा की सर्वोत्तम कृति मानी गई है। जिसमें 11 इंद्रियां, पांच ज्ञानेंद्रियां, पांच कमेद्रिया और 11वां मन जिसे शास्त्रों में इस जीव के बंधन और मुक्ति दोनों का कारण माना है। उक्त विचार आचार्य संत डॉ. गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री ने श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर खाजूवाला में तीसरे दिन जम्भाणी हरी कथा के दौरान कहे।
आचार्य ने कहा कि हम जीवन भर जिन जिनकी संगति या चिंतन करते रहेंगे उन्हीं का प्रभाव हमारे मन और मस्तिष्क पर देखने को मिलता है। यदि यही विचार अंतिम समय में अंतिम श्वास के समय रहते हैं तो यही भाव हमारे अगले जन्म के कारण बन जाते हैं। उन्होंने कहा कि अंतिम समय परमात्मा को याद करते शरीर का परित्याग करोगे तो निश्चित रूप से परमात्मा के स्वरूप को प्राप्त हो जाओगे। श्रीमद्भागवत गीता के अनुसार जो जिस जिस विषय का चिंतन करते ही शरीर का परित्याग करते हैं वह उसी योनि को प्राप्त होता है। श्री गुरु जंभेश्वर मंदिर खाजूवाला में सात दिवसीय जम्भाणी हरिकथा का आयोजन चल रहा है। जिसमें दूरदराज से आकर बड़ी संख्या में महिलाएं व पुरुष कथा का आनंद ले रहे हैं। वहीं सेवक दल सदस्यों के द्वारा आयोजन के समय पूरी व्यवस्था की जा रही है।